पैकेटबंद खाद्य उत्पादों के पैकेट पर चीनी, नमक एवं संतृप्त वसा की कुल मात्रा जैसी पोषण संबंधी जानकारियों को मोटे अक्षरों (बोल्ड एवं बड़े फॉन्ट के अक्षरों) में प्रदर्शित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद पैकेटबंद फूड उद्योग ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से संपर्क कर अपनी बात रखने की योजना बनाई है।
शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि उस संशोधन के लिए अधिसूचना का मसौदा अब सार्वजनिक कर दिया जाएगा ताकि उस पर लोगों से सुझाव एवं आपत्तियां आमंत्रित की जा सके।
एक पैकेटबंद फूड कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘उद्योग इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए एफएसएसएआई के पास जाएगा। इसमें कई पहलुओं को शामिल किया जाना बाकी है। मगर भारतीय खानपान की जटिलताओं को देखते हुए इस पर अमल करना आसान नहीं होगा।’
एक पैकेटबंद फूड कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी इस मुद्दे पर अकेले नहीं जाएगी, बल्कि उद्योग संगठन के जरिये इस मुद्दे को उठाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘नए मानदंडों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद हम उनका पालन करेंगे। अभी एफएसएसएआई ने नए प्रस्ताव पर सुझाव मांगे हैं।’ खाद्य नियामक ने हितधारकों से चर्चा के बाद सितंबर 2022 में एक भारतीय पोषण रेटिंग का प्रस्ताव दिया था। उस स्टार रेटिंग प्रणाली के तहत पैकेटबंद खाद्य पदार्थ में पोषण का आकलन करने के बाद उत्पाद को आधे स्टार से लेकर 5 स्टार तक की रेटिंग दी जाएगी।
एक अन्य पैकेटबंद फूड कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर इसे लागू किया जाता है तो मौद्रिक नुकसान हो सकता है क्योंकि उसके अनुपालन के लिए नई पैकेजिंग की जरूरत होगी। अधिकारी ने कहा, ‘अभी इसे लागू होने में काफी समय है। आम लोगों के सुझाव आने के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अभी आम लोगों से सुझाव आना बाकी है।’
मगर एक सूत्र ने कहा कि उनके उत्पाद का उपभोग आम तौर पर समाज के निम्न आय वर्ग द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि लोग इसलिए भी कंपनी के उत्पादों का उपभोग जारी रखेंगे क्योंकि वे आम तौर पर शारीरिक श्रम करने वाले लोग होते हैं, जिन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है।
शनिवार को पत्र सूचना कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि पैकेटबंद खाद्य उत्पाद के पैकेट पर चीनी, संतृप्त वसा और सोडियम की कुल मात्रा आदि जानकारी को मोटे अक्षरों में दी जाएगी। उसमें यह भी कहा है कि इस संशोधन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके द्वारा उपभोग किए जा रहे उत्पाद के पोषण मूल्य के बारे में बेहतर जानकारी देना और उन्हें स्वस्थ निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाना है।
हाल में एफएसएसएआई ने ई-कॉमर्स वेबसाइटों को एक एडवाइजरी जारी कर पैकेट हेल्थ ड्रिंक को हटाने के लिए कहा था क्योंकि उसे मानकीकृत अथवा परिभाषित नहीं किया गया है। उसने फूड कारोबार के सभी ऑपरेटरों को यह भी निर्देश दिया था कि ‘सौ फीसदी फ्रूट जूस’ के दावे को भी हटाया जाए।
फार्मले की ओर से शनिवार को जारी 2024 हेल्दी स्नैकिंग रिपोर्ट के अनुसार, सभी आयु वर्ग के 6,000 प्रतिभागियों में से करीब 73 फीसदी लोगों ने कहा कि वे जो उत्पाद खरीदते हैं, उसकी सामग्री सूची और पोषण मूल्यों की बारीकी से जांच करते हैं।
दिल्ली की पोषण विशेषज्ञ और ग्लो लाइफ की संस्थापक एवं सीईओ अक्षिता गुप्ता ने कहा, ‘पैकेटबंद फूड में नमक, चीनी और वसा सबसे नुकसानदेह घटक होते हैं और स्वास्थ्य पर उनका गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसलिए पैकेट पर इन घटकों के बारे में जानकारी स्पष्ट तौर पर दिए जाने से लोगों को बेहतर खानपान संबंधी निर्णय लेने में मदद मिलेगी।’