भारत के गांवों में रोजमर्रा के सामानों (FMCG) की खपत शहर की तुलना में कम है। सितंबर में कैंटार की FMCG पल्स रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में अब तक शहरी FMCG की वृद्धि 6.1 फीसदी है जबकि ग्रामीण इलाकों में यह महज 2.8 फीसदी ही रही।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछली तिमाही में शहरी क्षेत्र में रोजमर्रा की वस्तुओं की मांग में सुधार देखा गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी तनाव बना हुआ है।’
सरकार द्वारा मुफ्त अनाज वितरण योजना समाप्त करने के बाद गेहूं का आटा की खरीदारी फिर से शुरू होने से घरेलू खपत में वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस साल आटा ने गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों को अधिक प्रभावित किया है।
शहरी क्षेत्र में 25 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले, ग्रामीण इलाकों में आटा की खपत केवल 18 फीसदी बढ़ी है। नतीजतन, शहरी और ग्रामीण इलाकों में आटा के बिना वृद्धि 1.7 फीसदी रही।’
सौंदर्य प्रसाधन श्रेणियों में भी शहरी क्षेत्रों से मजबूत मांग देखी गई है। यह 4 फीसदी की वृद्धि है। गांवों से इस श्रेणी में भी मांग शहरों की तुलना में केवल आधी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्म पेय पदार्थों की शहरों में मजबूत मांग रही जबकि गांव में ठंडे पेय पदार्थों की काफी बिक्री हुई।
कांतार की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हल्के-फुल्के खाने की चीजों में वृद्धि के मामले में ग्रामीण इलाके शहरों से काफी आगे निकल गए। गांवों में इनकी मांग 18 फीसदी रही जबकि शहरों में 11 फीसदी।
इसका मतलब हुआ कि भले ही गांव शहरी समग्र विकास में पीछे है मगर ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी वृद्धि के मजबूत क्षेत्र हैं और इनके अधिक विवेकाधीन होने का मतलब है कि ग्रामीण अगली कुछ तिमाहियों में बड़ी वृद्धि के लिए तैयार हैं।’
कंपनी की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी करने के दौरान एचयूएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रोहित जावा ने निवेशकों को बताया था कि भारत की प्रति व्यक्ति FMCG खपत अन्य देशों की तुलना में काफी कम है और इसके भीतर ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी काफी कम है।
आईटीसी ने भी अपने दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद कहा था कि सामान्य से कम मानसून और लगातार खाद्य महंगाई के कारण विशेष रूप से मूल्य खंड और ग्रामीण बाजारों में उपभोग मांग अपेक्षाकृत कम रही है। हालांकि, इसमें सुधार की गुंजाइश दिखती हैं।