भारत के एफएमसीजी क्षेत्र ने अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के दौरान महज 7.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। नीलसनआईक्यू आंकड़ों के अनुसार, तिमाही के दौरान मूल्य वृद्धि में नरमी और कमजोर मात्रात्मक बिक्री से वृद्धि की रफ्तार पर ब्रेक लगा।
तिमाही के दौरान एफएमसीजी की मात्रात्मक बिक्री नकारात्मक रही लेकिन एक तिमाही पहले के मुकाबले उसमें सुधार दिखा। जुलाई से सितंबर तिमाही इस क्षेत्र की मात्रात्मक बिक्री -0.7 फीसदी रही थी और इसके मुकाबले दिसंबर तिमाही में मात्रात्मक बिक्री -0.3 फीसदी कम रही। तिमाही के दौरान मूल्य वृद्धि 7.9 फीसदी रही जो सितंबर तिमाही में 9.9 फीसदी के मुकाबले कम है।
एफएमसीजी कंपनियां कच्चे माल की कीमतों में तेजी के मद्देनजर अपने उत्पादों के दाम भी लगातार बढ़ाती रही हैं। मगर कुछ कच्चा माल सस्ता होने के कारण ये कीमत बढ़ाने में सुस्ती बरत रही हैं।
नीलसनआईक्यू के सर्वेक्षण में ग्रामीण एवं शहरी यानी दोनों बाजारों में मूल्य वृद्धि में नरमी दर्ज की गई। शहरी बाजारों में एफएमसीजी की मात्रात्मक बिक्री में अब भी 1.6 फीसदी की वृद्धि दिखी जबकि ग्रामीण बाजारों की मात्रात्मक बिक्री 2.8 फीसदी कम रही।
मूल्य के लिहाज से शहरी बाजारों में 9.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि ग्रामीण बाजारों में महज 5.1 फीसदी की वृद्धि दिखी। साल 2022 में मूल्य में 8.4 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि मात्रात्मक बिक्री में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
नीलसनआईक्यू के प्रबंध निदेशक (भारत) सतीश पिल्लै ने कहा, ‘पिछले एक साल में उपभोक्ताओं द्वारा होने वाले खर्च पर महंगाई का असर पड़ा है। यही कारण है कि उपभोक्ता छोटे पैक पसंद कर रहे हैं और विनिर्माता पैकेट का वजन घटाने पर मजबूर हो रहे हैं। विशेष तौर पर ग्रामीण बाजार में उपभोक्ता इस दबाव को महसूस कर रहे हैं और इसलिए ग्रामीण बाजार की खपत में वृद्धि लगातार नकारात्मक दिख रही है।’
पिल्लै ने कहा, ‘हालांकि संगठित क्षेत्र में सकारात्मक रुझान उत्साहजनक है क्योंकि अंतिम दो तिमाहियों के दौरान आधुनिक व्यापार दो अंकों की वृद्धि के साथ बढ़ रहा है और पूर्ण खपत कोविड-पूर्व स्तर के पार पहुंच चुकी है।’
खाद्य श्रेणी में लगातार अधिक मात्रा बिक रही है। गैर-खाद्य श्रेणी की खपत में गिरावट जारी है और हालिया तिमाहियों के दौरान इसकी मात्रात्मक बिक्री कोविड-पूर्व स्तर के मुकाबले कम रही।
नीलसनआईक्यू ने कहा है कि गैर-खाद्य श्रेणी में खुदरा आउटलेट पर उत्पादों की कमी और स्टॉक में भी कमी दिखी। विनिर्माता वॉशिंग पाउडर, डिटरजेंट बार, टॉयलेट सोप, शैंपू आदि श्रेणियों के लिए प्रचार-प्रसार में भी नरमी दिखा रहे हैं।
गैर-खाद्य उत्पादों के छोटे विनिर्माता भी मूल्य वृद्धि में तेजी की चुभन महसूस कर रहे हैं। खाद्य श्रेणी में छोटे विनिर्माता खपत में वृद्धि को लगातार रफ्तार दे रहे हैं।