शहरों में गैस वितरक (सीजीडी) कंपनी ने कहा कि प्रमुख सरकारी कंपनी गेल ने कम लागत वाली एपीएम यानी सरकारी मूल्य वाली गैस की आपूर्ति में 20 प्रतिशत तक की कटौती की है। इस कमी की भरपाई अपेक्षाकृत अधिक महंगे ईंधन नए तेल कुओं की गैस (एनडब्ल्यूजी) से की गई है। इस बारे में शहरों में गैस वितरक कंपनियों (सीजीडी) ने कहा कि इससे उनकी लाभप्रदता पर असर पड़ेगा। इस क्रम में पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि यह कदम सरकार के कम लागत वाली गैस की हिस्सेदारी में कमी करने के कदम के अनुरूप है।
गेल ने बुधवार को एपीएम गैस का आबंटन मुंबई स्थित महानगर गैस लिमिटेड और दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड को क्रमश: 18 प्रतिशत और 20 प्रतिशत कम कर दिया है। हालांकि गुजरात में आपूर्ति करने वाली अदाणी टोटाल गैस लिमिटेड को 15 प्रतिशत कम गैस मिलेगी। यह जानकारी तीनों शहरी खुदरा विक्रेताओं ने शेयर बाजार को अलग-अलग दी हैं।
इस क्रम में गेल आईजीएल को एनडब्ल्यूजी के जरिये कटौती का 1.25 प्रतिशत तक मुहैया कराएगी जबकि अन्य दो सीजीडी फर्मों को उनकी मात्रा के बराबर दी जाएगी। भारत के कच्चे तेल के बॉस्केट में एनडब्ल्यूजी का मूल्य 12 प्रतिशत है। लिहाजा ऐसे में शहरी गैस वितरकों को गैस खरीदने के लिए मजबूरन अधिक भुगतान करना होगा।
मार्केट मूल्य की ओर कदम
सीजीडी को पुराने तेल कुओं से गैस मिलती है और यह सरकार के निर्धारित मूल्य पर दी जाती है। इसे नियमित या एपीएम गैस कहा जाता है। दूसरी तरफ नए तेल कुओं से प्राप्त होने वाली गैस के मूल्य को भारतीय कच्चे तेल के मूल्य से जोड़ दिया गया है। एपीएम गैस की वर्तमान कीमत 6.5 प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट तय किया गया है और यह सालाना आधार पर 2027 तक इस 0.5 प्रति डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि नए तेल कुओं से निकलने वाली गैस के उत्पादन पर दो डॉलर अधिक लगता है।
पिछले वर्ष किरीट पारीख समिति ने सरकार को सौंपी अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट में कहा था कि भारत को पुराने क्षेत्रों से निकाली गई प्राकृतिक गैस के लिए पूरी तरह से मुक्त और बाजार-निर्धारित मूल्य निर्धारण करना चाहिए और 1 जनवरी, 2027 तक सभी सीमाएं हटा देनी चाहिए।