सोने को लेकर भारतीयों की दीवानगी, कोरोना की दूसरी लहर के बाद घटी मांग में बढ़ोतरी और लॉकडाउन के कारण आमदनी के वितरण में भारी अंतर के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान मूल्यवान वस्तुओं की खरीद में भारी बढ़ोतरी होने की संभावना है। मूल्यवान वस्तुओं में सोना, कीमती पत्थर और खर्चीली कलाकृतियां शामिल हैं।
अग्रिम अनुमान (एई) के मुताबिक 2021-22 के दौरान भारतीयों का मूल्यवान वस्तुओं पर खर्च 75 प्रतिशत बढ़कर 2.95 लाख करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है। यह खर्च महंगाई दर के समायोजन के बाद होगा।
यह कम आधार के असर के कारण नहीं होने जा रहा है क्योंकि कोविड की पहली लहर के दौरान भी 2020-21 में उसके पहले के साल की तुलना में मूल्यवान वस्तुओं की खरीद 2.4 प्रतिशत बढ़कर 1.67 लाख करोड़ रुपये हो गई थी, जबकि इस वित्त वर्ष में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत संकुचन आया था। उसके पहले के वित्त वर्ष में 1.64 लाख करोड़ रुपये की मूल्यवान वस्तुओं की खरीद हुई थी।
इसकी वजह से 2020-21 में जीडीपी में मूल्यवान वस्तुओं की हिस्सेदारी थोड़ी बढ़कर 1.2 प्रतिशत हो गई थी, जो इसके पहले के वित्त वर्ष में 1.1 प्रतिशत थी।
बहरहाल अग्रिम अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी में भारी उछाल आने की संभावना है और यह अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2 प्रतिशत पहुंच सकता है। कमोबेश पिछले 3 वित्त वर्ष से यही स्थिति मौजूदा मूल्य पर भी जीडीपी के प्रतिशत हिस्सेदारी के मामले में भी रही है। चालू वित्त वर्ष में मूल्यवान वस्तुओं की हिस्सेदारी 1.9 प्रतिशत हो जाने की संभावना है जो पहले के वित्त वर्ष में 1.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 20 में 1 प्रतिशत थी।
जीडीपी में मूल्यवान वस्तुओं की हिस्सेदारी स्थिर मूल्य और मौजूदा मूल्य दोनों के हिसाब से चालू वित्त वर्ष में 2013-14 के बाद सर्वाधिक स्तर पर रहने की संभावना है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि उच्च मूल्यवान वस्तुओं के आंकड़े सोने के आयात को ज्यादा प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘सोने का ज्यादा आयात शादी विवाह में महामारी के बाद बढ़ी मांग को दिखाता है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि लोग अतिथियों की सीमा तय होने के कारण शादियों में खाने पर कम खर्च कर रहे हैं क्योंकि कुछ राज्यों में ओमीक्रोन तेजी से बढ़ा है। ऐसे में लोग शादियों में सोने पर ज्यादा धन खर्च कर रहे हैं।
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस साल सोने के आयात में तेज बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘विकल्प बहुत कम हैं। जमा दरें कम हैं। रियल एस्टेट का भविष्य अनिश्चित है। लोग स्टॉक, सोने और क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं। सोने को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है।’
चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीने में सोने का आयात 170.68 प्रतिशत बढ़कर 33.29 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो इसके पहले के साल के समान महीने में 12.30 अरब डॉलर था। कम आधार का भी असर है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत का भी कहना है कि कोविड के कारण लॉकडाउन की वजह से आमदनी में असमानता बढ़ी है, जिसका असर नजर आ रहा है।
