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साक्ष्य बताते हैं कि फेसबुक ध्रुवीकरण का प्रमुख संचालक नहीं है: मोनिका

Last Updated- December 11, 2022 | 11:27 PM IST

बीएस बातचीत

मेटा (फेसबुक) द्वारा अपनेप्लेटफार्मों पर द्वेषपूर्ण भाषा और गलत सूचना रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के संबंध में चल रहे विवाद के बीच मेटा की प्रमुख (वैश्विक नीति प्रबंधन) मोनिका बिकर्ट ने नेहा अलावधी को उस दिशा में भारत में कंपनी द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया और अन्य मसलों पर बात की। संपादित अंश :

क्या व्हिसलब्लोअर की शिकायतों से उपयोगकर्ता संख्या और विज्ञापन के लिहाज से मेटा प्लेटफॉर्म की वृद्धि प्रभावित हुई है?

अब करीब 3.6 अरब ऐसे लोग हैं, जो वैश्विक स्तर पर हमारी एक या अधिक सेवाओं को सक्रिय रूप से इस्तेमाल करते हैं और 20 करोड़ से अधिक ऐसे व्यवसाय हैं, जो ग्राहकों से जुडऩे के लिए हमारे टूल का इस्तेमाल करते हैं। हमारे प्लेटफॉर्म पर और भी ऐसा काफी कुछ हो रहा है, जो साफ तौर पर लोगों को सशक्त बनाता है। अधिक से अधिक व्यवसाय और समुदाय हर रोज हमारे साथ जुड़ते हैं, क्योंकि यह उनके जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। 

उजागर हुए दस्तावेजों में एक शोधकर्ता के हवाले से बताया गया है कि ‘हम जानते हैं कि हमारे प्लेटफॉर्म पर जुड़ाव पैदा करने वाली कई चीजें उपयोगकर्ताओं को विभाजित और उदास करती हैं।’ क्या यह सही है?

हालांकि हम ध्रुवीकरण के साथ सोशल मीडिया के संबंधों को समझने में लगातार भारी निवेश कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा साक्ष्य बताते हैं कि फेसबुक ध्रुवीकरण का प्रमुख संचालक नहीं है। उदाहरण के लिए अकादमिक अनुसंधान से पता चलता है कि अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण में इजाफा सोशल मीडिया से कई दशक पहले का है। इंटरनेट रुझानों के अध्ययन से पता चलता है कि कई देशों में इंटरनेट उपयोग और धु्रवीकरण के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं है। दरअसल पूर्वी यूरोप में प्रयोजनार्थक प्रयोगों से पता चला है कि फेसबुक का उपयोग वास्तव में ध्रुवीकरण को कम करता है। हम लोगों को जो वे देख रहे हैं, उस पर और अधिक नियंत्रण देना चाहते हैं। हम लोगों को पहले से ही एल्गोरिदम-फेसबुक पर अपना खुद का न्यूजफीड बनाने के लिए ओवरराइड करने की क्षमता प्रदान कर रहे हैं। चूंकि हम सुन रहे हैं कि लोग मित्र अधिक और राजनीति कम देखना चाहते हैं, इसलिए हम उन तरीकों का परीक्षण कर रहे हैं, जिनसे हम इसका जवाब दे सकें।

भाषाओं की विविधता के मद्देनजर भारत में द्वेषपूर्ण भाषा और गलत सूचना सामग्री से कैसे निपटा जाता है?

कुछ वर्षों में हमने अपने मंच पर द्वेषपूर्ण भाषा खोजने और गलत सूचना से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी में अच्छा-खासा निवेश किया है। वर्ष 2016 से हम सुरक्षा पर केंद्रित प्रौद्योगिकी और अपनी टीमों पर 13 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुके हैं और इस वर्ष हम इस क्षेत्र में पांच अरब डॉलर से अधिक खर्च करने की राह पर हैं। आज हमारे पास सुरक्षा के मसलों पर काम करने वाले 40,000 से अधिक लोग हैं, जिनमें 15,000 से अधिक ऐसे समर्पित सामग्री समीक्षक शामिल हैं, जो 70 से अधिक भाषाओं में सामग्री की समीक्षा करते हैं।

हमारे प्रयासों के परिणामस्वरूप हमने इस वर्ष लोगों द्वारा देखी जाने वाली द्वेषपूर्ण भाषा की मात्रा को घटाकर आधा तक कर दिया है। आज यह घटकर 0.03 प्रतिशत पर आ गई है। भारत में नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत और स्थानीय कानूनों का सम्मान करने की हमारी प्रतिबद्धता के रूप में हमने मई से मासिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करनी शुरू कर दी है और तब से हमने अपने प्लेटफॉर्म से द्वेषपूर्ण भाषा की 10.5 लाख से अधिक सामग्री को सक्रिय रूप से हटाया है। भारत में द्वेषपूर्ण भाषा के लिए हमारी सक्रिय पहचान दर करीब 97 प्रतिशत है-जिसका अर्थ है कि हम द्वेषपूर्ण भाषा वाली जिस सामग्री को हटा रहे हैं, उसका हमने सक्रिय रूप से 97 प्रतिशत पता लगाया है, इससे पहले कि कोई इसकी सूचना दे।

हाल ही में भारत में बनाए गए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को आप किस तरह देखती हैं? सामग्री और प्रौद्योगिकी के संबंध में भारतीय नियमों में बदलाव को आप कैसे देख रही हैं?

हम भारतीय कानूनों का सम्मान करते हैं। हम अपने प्लेटफॉर्म पर लोगों की गोपनीयता और सुरक्षा के कार्यक्रम के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। हम पहले से ही इस क्षेत्र में नई बेहतर सुविधाओं, कृत्रिम मेधा प्रौद्योगिकी-जो हमें हमारे प्लेटफॉर्म पर सामने आने वाली उल्लंघन सामग्री को हटाने की अनुमति देती है, इससे पहले कि हमें इसकी सूचना दी जाए, के रूप में काफी ज्यादा निवेश कर रहे हैं। हमने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के प्रावधानों के अनुपालन की दिशा में काम करने के लिए खासी कोशिश की है और कुछ ऐसे मसलों पर विचार-विमर्श जारी रखे हुए हैं, जिन पर सरकार के साथ और अधिक जुड़ाव की जरूरत है। हम अपने प्लेटफॉर्म पर स्वयं को स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से व्यक्त करने की लोगों की क्षमता के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सीनेट में फ्रांसेस हॉगेन की गवाही से मेटा की नीतियों और डेटा के दुरुपयोग के संबंध कई सवाल उठाते हैं। इसके अलावा भारत जैसे देशों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं? आप लोगों/उपयोगकर्ताओं को यह कैसे भरोसा दिलाना चाहती हैं कि आप लाभ के लिए उनके डेटा का दुरुपयोग नहीं कर रहे हैं?

हमारी विश्वसनीयता और अपने डेटा के बारे में अधिक पारदर्शी होने के हमारे प्रयास स्थिर नहीं हैं, बल्कि सदैव विकसित हो रहे हैं। हमारे सार्वजनिक नीति के कार्य विवरण, हमारे द्वारा बनाई गई नई रिपोर्ट, हमारे द्वारा बनाए गए नए टूल और मौजूदा रिपोर्ट में डाले गए अतिरिक्त डेटा बिंदुओं पर इस विकास की निगरानी की जा सकती है। हम जांच और प्रतिक्रिया का स्वागत करते हैं, लेकिन इन दस्तावेजों का इस्तेमाल एक ऐसी कहानी चित्रित करने के लिए किया जा रहा है कि हम छिपा रहे हैं या डेटा चुन रहे हैं, जबकि वास्तव में हम इसके उलट करते हैं। 

क्या सोशल मीडिया कंपनियों के बीच इस बात पर बातचीत हो रही है कि वे द्वेषपूर्ण भाषा और गलत सूचना से निपटने की कैसी योजना बना रही हैं?

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, हमने हमेशा कहा है कि हमारी जैसी निजी कंपनियों को चुनावी अखंड या सामग्री जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों के बारे खुद से इतने सारे फैसले नहीं लेने चाहिए। हमने इन विषयों पर बार-बार स्पष्टता प्रदान करने के लिए नियमन की मांग की है।

First Published - November 18, 2021 | 11:43 PM IST

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