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गो फर्स्ट को बचा सकता था भारत में इंजन एमआरओ

इस साल 3 मई को गो फर्स्ट ने अपनी उड़ानें निलंबित कर दीं और नकदी संकट के लिए इंजन विनिर्माता प्रैट ऐंड व्हिटनी (पीडब्ल्यू) को दोषी ठहराते हुए दिवालिया आवेदन दाखिल किया।

Last Updated- November 21, 2023 | 10:38 PM IST
Go First

भारत में इंजन का रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधा होने से विमानन कंपनी गो फर्स्ट दिवालिया होने से बच सकती थी। नागर विमानन मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार पीयूष श्रीवास्तव ने कहा कि देश में ऐसी सुविधा नहीं होने के कारण ही विमानन कंपनी ने इंजन को मरम्मत के लिए विदेश भेजा, जो एक किफायती तरीका नहीं है।

इस साल 3 मई को गो फर्स्ट ने अपनी उड़ानें निलंबित कर दीं और नकदी संकट के लिए इंजन विनिर्माता प्रैट ऐंड व्हिटनी (पीडब्ल्यू) को दोषी ठहराते हुए दिवालिया आवेदन दाखिल किया।

कंपनी का दावा था कि अमेरिकी कंपनी ने इंजन नहीं दिया जिससे उसके 54 विमानों के बेड़े में से करीब आधे विमानों को 3 मई को खड़ा करना पड़ा। हालांकि, पीडब्ल्यू ने इस आरोपों से इनकार कर दिया।

विमानन उद्योग के कार्यक्रम ‘एरो एमआरओ 2023’ में श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारत में इंजन को हटाना और इसे ठीक कराने के लिए दूसरी जगह भेजने के लिए पैसे खर्च करना वह भी तब जब आपके विमान खड़े हों या फिर आप किराये पर दूसरा इंजन ले रहे हों- यह किसी भी विमानन कंपनी के लिए किफायती तरीका नहीं है।’

उन्होंने कहा, ‘गो फर्स्ट के साथ हमारा ताजा उदाहरण इसकी गवाही देता है। यदि हमारे देश में पर्याप्त एमआरओ सुविधा होती तो शायद कंपनी दिवालिया नहीं होती। उस मामले में ओईएम आपूर्तिकर्ता (पीडब्ल्यू) आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण विमानन कंपनी की मदद करने की स्थिति में नहीं था और विमानन कंपनी दिवालिया हो गई। मेरी नजर में यह विमानन क्षेत्र के लिए अच्छी बात नहीं है।’

3 मई को गो फर्स्ट द्वारा उड़ानें बंद करने के बाद इसके पट्टादाताओं ने कंपनी के 54 में से 40 से अधिक विमानों को वापस लेने के लिए नागर विमानन मंत्रालय को आवेदन दिया था। हालांकि, राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण ने 10 मई को गो फर्स्ट की सभी संपत्तियों पर रोक लगा दी और पट्टादाताओं को भी अपने विमान वापस लेने से रोक दिया।

First Published - November 21, 2023 | 10:38 PM IST

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