देश की सबसे बड़ी डायग्नोस्टिक श्रृंखला डॉ लाल पैथलैब्स (Dr Lal PathLabs) नए भौगोलिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इससे वह दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) पर अपनी राजस्व निर्भरता कम करने में कामयाब रही है।
कंपनी अब छोटे शहरों और कस्बों तक अपनी मौजूदगी का विस्तार करके अपने मजबूत बाजारों में और ज्यादा पैठ बनाने को लक्ष्य कर रही है।
दिल्ली मुख्यालय वाली यह डायग्नोस्टिक श्रृंखला दक्षिणी बाजार में अपनी मौजूदगी मजबूत करने के लिए विलय और अधिग्रहण के अवसरों की तलाश कर रही है। अभी दक्षिण के बाजार उसके समेकित राजस्व में केवल छह प्रतिशत का योगदान देते हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में डॉ लाल पैथलैब्स के प्रबंध निदेशक ओम मनचंदा ने कहा, ‘इस साल हम कोई मूल्य वृद्धि नहीं करना चाहते हैं। इसके बजाय हमारा इरादा वॉल्यूम बढ़ाने का है। वृद्धि का हमारा अगला चरण छोटे शहरों और कस्बों से आएगा, जहां कीमत ज्यादा मायने रखती है। हम मार्जिन को 26 से 27 प्रतिशत एबिटा पर बनाए रखना चाहते हैं।’
दिल्ली-एनसीआर से बाहर विस्तार करने की डॉ. लाल पैथलैब्स की रणनीति करीब एक दशक पहले शुरू हुई थी। साल 2005 में इसके राजस्व में दिल्ली की लगभग 82 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जबकि शेष भारत का केवल 18 प्रतिशत का योगदान था।
तब से साल 2023-24 के अंत तक काफी बदलाव आया है और दिल्ली-एनसीआर ने इसके राजस्व में 31 प्रतिशत का योगदान किया जबकि शेष उत्तरी बाजार (जिसमें पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड जैसे बाजार शामिल हैं) ने भी 31 प्रतिशत का योगदान किया। पूर्वी भारत और पश्चिम भारत इसके राजस्व में लगभग 15-15 प्रतिशत का योगदान करते हैं जबकि दक्षिण का हिस्सा छह प्रतिशत है।
आम तौर पर डायग्नोस्टिक श्रृंखलाएं एक या दो शीर्ष इलाकों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। ऐसा उपभोक्ताओं के बीच ब्रांड की लोकप्रियता और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं (लैब) में कम जाने के कारण होता है।
मनचंदा बताते हैं कि मजबूत बाजारों में और अधिक पैठ बनाने के लिए इस ‘खाली स्थान’पर वे ध्यान देंगे। उन्होंने कहा कि दक्षिण और पश्चिम जैसे गैर-प्रमुख बाजारों में मौजूदा क्षमता में बढ़ोतरी करना चुनौतीपूर्ण है। जहां ब्रांड जागरूकता बरकरार है, वहां हमारे लिए विस्तार करना आसान है।
उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के बाकी हिस्से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और आस-पास के इलाकों के लिए उन्होंने उत्तर भारत के कई जिलों में हब लैब (रेफरेंस लैब की तुलना में छोटी) शुरू की हैं।
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में वाराणसी, लखनऊ और मेरठ हब के रूप में काम करते हैं, जो सहारनपुर और रुड़की जैसे इलाकों की जरूरत पूरी करते हैं। अभी भारत में उनकी 35 हब लैब हैं।