पिछले वित्त वर्ष में 1,800 करोड़ रुपये का घाटा झेलने वाली सैटेलाइट टीवी ब्रॉडकास्टर डिश टीवी इंडिया ने 9 जून को शेयरधारकों की बैठक (ईजीएम) बुलाई है। कंपनी ने ऋणदाताओं के अनुरोध पर नए निदेशक की नियुक्ति के लिए यह बैठक बुलाई है। ऋणदाताओं में शामिल आदित्य बिड़ला कैपिटल, जेसी फ्लावर और इंडसइंड बैंक तथा फीनिक्स एआरसी नए बोर्ड की नियुक्ति के बाद कंपनी बेचने की योजना बना रहे हैं।
प्रवर्तकों (सुभाष चंद्रा का परिवार) की हिस्सेदारी पर कब्जा करने के बाद एस्सेल समूह के ऋणदाताओं ने कंपनी में बड़ी हिस्सेदारी शामिल की थी। सोमवार को स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे गए नोटिस के अनुसार, ऋणदाताओं ने मौजूदा दो निदेशकों को हटाने की मांग करते हुए अपने तीन नामितों को नियुक्त करने के लिए ईजीएम बुलाई है।
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक बैंकिंग सूत्र ने कहा, ‘निदेशक मंडल के पुनर्गठन के बाद हमारी पहली प्राथमिकता उच्चतम बोलीदाता संपत्ति बेचने की होगी। हम दावेदारों को पहले ही इससे अवगत करा चुके हैं।’ कंपनी के संस्थापकों के पास अभी भी इसकी 4 फीसदी हिस्सेदारी है।
खरीदारों को कंपनी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के बीच चल रहे मुकदमे पर फैसला आने का इंतजार है। जिसमें उसे वित्त वर्ष 2022 तक संबंधित डीटीएच लाइसेंस देने के बाद से लाइसेंस शुल्क के लिए 5652.28 करोड़ (मार्च 2023 तक ब्याज सहित) रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
कंपनी को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा है कि यह रकम जांच, सत्यापन और सर्वोच्च न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों के फैसलों पर निर्भर करेगा। कंपनी ने मांग पर आपत्ति जताई है।
इस साल जनवरी में, कंपनी को सीएजी कार्यालय से सरकार को बकाये लाइसेंस शुल्क के संबंध में पत्र प्राप्त हुआ था। कंपनी ने सीएजी ऑडिट के खिलाफ जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसने ऑडिट पर रोक लगा दी है।