आने वाले समय में ऑनलाइन कंपनियों को खुद ही कारोबारी व्यवहार से जुड़ी कुछ घोषणाएं करनी पड़ सकती हैं। इस संबंध में तैयार डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक के मसौदे में ऑनलाइन सेवाएं देने वाली इकाइयों के लिए कायदे तय किए जा रहे हैं। इनके अनुसार ऑनलाइन कंपनियों को स्वयं बताना होगा कि उनका कारोबार उचित एवं पारदर्शी है या नहीं और यह अन्य पक्ष (थर्ड पार्टी) की तकनीक या ऐप्लिकेशन के लिए कोई रुकावट तो पैदा नहीं कर रहा है।
इस मामले से अवगत सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक के अनुसार गेटकीपर प्लेटफॉर्म्स या सिस्टमैटिकली इंपॉर्टेंट डिजिटल इंटरमीडियरीज (एसआईडीआई) को इससे जुड़ी उद्घोषणा भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के समक्ष करनी होगी।
सूत्रों ने कहा कि अगर कोई ऑनलाइन इकाई यह घोषणा नहीं करती है तो उसे अपने वैश्विक राजस्व का 1 प्रतिशत हिस्सा जुर्माने के रूप में देना होगा। माना जा रहा है कि निर्धारित सीमा पार करने के समय से ऑनलाइन कंपनियों के पास ऐसी घोषणाएं करने के लिए छह महीने तक का समय होगा। सूत्रों के अनुसार यह निर्धारित सीमा ऑनलाइन कंपनियों के भारत एवं वैश्विक राजस्व, उनके सकल व्यापारिक मूल्य (जीवीएम), औसत वैश्विक बाजार पूंजीकरण और मूल उपभोक्ताओं की संख्या पर आधारित है।
स्व-उद्घोषणा के रूप में एसआईडीआई को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि वे मूल उपभोक्ताओं की अनुमति बिना उनसे जुड़ी जानकारी का घालमेल या दुरुपयोग नहीं कर रही हैं।
उपभोक्ताओं को दूसरी कंपनियों को सेवाएं लेने से रोकने के लिए किए गए अनुचित उपायों (एंटी-स्टीयरिंग) पर भी ऑनलाइन कंपनियों को अंकुश लगाना होगा। प्रस्तावित विधेयक कुछ प्रमुख डिजिटल सेवाओं में ऑनलाइन कंपनियों की गतिविधियों को कायदे में रखेगा। इन एहतियाती दिशानिर्देशों की जद में एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, व्हाट्सऐप और सिग्नल जैसी कंपनियां आएंगी।
सर्च इंजन, सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म्स, वेब ब्राउजर और ऑनलाइन विज्ञापन कंपनियां इसके दायरे में आ सकती हैं। एहतियाती दिशानिर्देश डिजिटल बाजार में प्रतिस्पर्द्धा रोधी तरीकों को रोकने के लिए लाए जाते हैं।
प्रतिस्पर्द्धा नियमन से जुड़े पहलू जैसे जुर्माना, निपटान एवं वादे जैसे विषयों पर प्रावधान मूल प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुरूप निर्धारित किए जाएंगे। प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम में डिजिटल क्षेत्र की कंपनी पर कार्रवाई तब की जाती है, जब वह अनुचित कारोबार व्यवहार में लिप्त मिलती है। कंपनी मामलों का मंत्रालय रायशुमारी के लिए वित्त मंत्रालय को प्रस्तावित विधेयक भेजेगा।
वित्त पर गठित एक संसदीय समिति ने दिसंबर 2022 में अपनी एक रिपोर्ट में डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा कानून लाने का सुझाव दिया था। समिति ने कहा था कि सरकार को एसआईडीआई की अधिक स्पष्ट परिभाषा तय करनी चाहिए, जिसके लिए सख्त नियमों की दरकार है। रिपोर्ट के अनुसार एसआईडीआई का वर्गीकरण राजस्व, बाजार पूंजीकरण और सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर किया जा सकता है।