डीजीसीए ने आज एयर इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा कि विमानन कंपनी अपने यात्रियों का उचित ध्यान रखने में ‘बार-बार’ विफल रही है। हाल में इसकी दो उड़ानों में ‘नाकाफी’ कूलिंग की वजह से मुसाफिरों को परेशानी होने के बाद यह यह नोटिस जारी किया गया है।
इन दोनों उड़ानों में काफी देर हुई। कारण बताओ नोटिस में नियामक ने कहा कि दो उड़ानों – 24 मई को मुंबई-सैन फ्रांसिस्को एआई-179 उड़ान और 30 मई को दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को एआई-183 उड़ान में अत्यधिक देर हुई थीं और केबिन में नाकाफी कूलिंग की वजह से मुसाफिरों को असुविधा हुई।
सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया की एआई-183 उड़ान में कुछ मुसाफिर घंटों तक बिना एयर कंडीशनिंग के विमान के अंदर बैठे रहे जिससे वे बेहोश हो गए थे। इसके बाद मुसाफिरों को विमान से उतरने और टर्मिनल में प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया था। एआई-183 उड़ान आखिरकार 20 घंटे से ज्यादा की देरी के बाद रवाना हुई।
24 मई को एयर इंडिया की उड़ान एआई-179 को कई समस्याओं की वजह से 18 घंटे से भी ज्यादा देर हुई थी। इनमें तकनीकी खराबी, कुछ मुसाफिरों द्वारा यात्रा खत्म करने के बाद सामान उतारना, एक मुसाफिर के अस्वस्थ होने की वजह से गेट पर वापस लौटना और आखिरकार रात में उतरने के प्रतिबंधों और क्रू ड्यूटी की सीमाएं जैसी समस्याएं शामिल थीं।
विमानन नियामक ने कहा कि मुसाफिरों की परेशानी की ये दो हालिया घटनाएं ऐसे अकेले मामले नहीं हैं। उसने कहा ‘इसके अलावा एयर इंडिया द्वारा विभिन्न ‘डीजीसीए कार’ (नागरिक विमानन आवश्यकता) प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए यात्रियों को असुविधा पहुंचाए जाने की बार-बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं।’
डीजीसीए ने कहा कि इसलिए एयर इंडिया ने ‘नागरिक विमानन आवश्यकता’ के प्रावधानों का उल्लंघन किया है, जिसके तहत उड़ान में देर या रद्द होने पर प्रभावित मुसाफिरों को भोजन, जलपान और होटल जैसी ‘सुविधाएं’ प्रदान करना जरूरी है। डीजीसीए ने विमानन कंपनी को तीन दिन के भीतर अपना जवाब देने को कहा है।
एयर इंडिया ने इस मामले पर बयान के लिए बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। इस घटना ने देरी या व्यवधान के दौरान मुसाफिरों को बुनियादी सुविधाओं और आराम सुनिश्चित करने में विमानन कंपनी की बार-बार चूक से जुड़ी चिंताओं को फिर से उजागर कर दिया है।
एयर इंडिया के खिलाफ डीजीसीए की कई कार्रवाई
पिछले दो वर्षों के दौरान ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब टाटा समूह द्वारा संचालित विमानन कंपनी को नियामक की नाराजगी झेलनी पड़ी। डीजीसीए ने मार्च में एयर इंडिया पर उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) के नियम उल्लंघन के मामले में 80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि पायलटों को पर्याप्त आराम मिल सके, ताकि थकान की वजह से काम के दौरान कोई घटना न हो जाए।
फरवरी में एयर इंडिया पर डीजीसीए की ओर से 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था, जब एक बुजुर्ग मुसाफिर को दिल का घातक दौरा पड़ा था। मुसाफिर ने व्हीलचेयर का अनुरोध किया था लेकिन विमानन कंपनी के असमर्थता जताने के बाद बुजुर्ग ने विमान से टर्मिनल तक पैदल जाने का विकल्प चुना था। इस वजह से कुछ ही मिनटों बाद यह दुखद घटना हुई।
जनवरी में एयर इंडिया को कम दृश्यता में विमान उतारने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित पायलटों को रोस्टर में नहीं रखने पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भरने के लिए कहा गया था।