अमेरिका की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी ऐपल भारत में आईफोन बनाने के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरणों (कैपिटल इक्विपमेंट) और मशीनों के उत्पादन के लिए देसी कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। तैयार होने के बाद इन मशीनों एवं उपकरणों की आपूर्ति कंपनी के आईफोन वेंडरों को की जाएगी क्योंकि वे अपनी क्षमता का बढ़ा रहे हैं और नए स्मार्टफोन मॉडल लॉन्च किए जा रहे हैं।
यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है क्योंकि आवश्यक पूंजीगत उपकरणों एवं मशीनों के आयात को फिलहाल बंदरगाहों पर अनिश्चितकालीन देरी का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से अधिकतर उपकरण चीन से आते हैं और नए मॉडलों के स्मार्टफोन को असेंबल करने के लिए आवश्यक हैं। ये उपकरण उपलब्ध कराने में सक्षम स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करने से व्यापार जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा, ‘ऐपल उन देसी कंपनियों की तलाश कर रही है जो आईफोन उत्पादन के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरण एवं मशीनें बना सकती हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण पहल है जो कंपनी की पूंजीगत उपकरण जरूरतों के स्थानीयकरण का हिस्सा है।’ मगर ऐपल के प्रवक्ता ने इस संबंध में पूछे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।
भारत में ऐपल आईफोन के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण पूंजीगत उपकरणों की काफी आवश्यकता है। खास तौर पर ऐसे समय में जब दो नए कारखाने- एक फॉक्सकॉन का और दूसरा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का- आईफोन का उत्पादन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। विश्लेषकों के अनुसार, इन कारखानों के पूरी तरह से चालू होने के बाद उत्पादन क्षमता में काफी वृद्धि होगी। साथ ही ऐपल की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्त्वपूर्ण पुर्जों के भारतीय विनिर्माताओं को भी अपनी क्षमता में विस्तार करना होगा।
मगर ऐपल की आगामी आईफोन 17 श्रृंखला के स्मार्टफोन के उत्पादन के लिए आवश्यक विशेष मशीनों की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती है। इसमें अधिक जटिल प्रो और प्रो मैक्स मॉडल शामिल हैं। कंपनी इन मॉडलों को इसी साल सितंबर से अक्टूबर के बीच दुनिया भर में उतार सकती है। इन स्मार्टफोन के उत्पादन के लिए नए उपकरणों एवं मशीनों को पहले से स्थापित करने की जरूरत है।
मगर यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कई महीने लग सकते हैं। इसमें किसी भी तरह की देरी होने से इन मॉडलों को असेंबल करने में देरी होगी जिससे उन्हें उतारने में अड़चन आ सकती है। आईफोन की घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों में इन मॉडलों की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
फॉक्सकॉन जैसे प्रमुख असेंबलर आम तौर पर ऐपल की सहायक इकाइयों के जरिये पूंजीगत उपकरणों एवं मशीनों की खरीदारी करते हैं। उदाहरण के लिए, पिछले साल जुलाई में हॉन हाई की एक भारतीय सहायक इकाई ने ऐपल ऑपरेशंस लिमिटेड से 3.3 करोड़ डॉलर के उपकरण खरीदे।
ताइवान में कंपनी के एक खुलासे से यह जानकारी मिली। विश्लेषकों के अनुमानों के अनुसार, टाटा समूह सहित ऐपल के वेंडर भारतीय परिचालन के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश पहले ही कर चुके हैं। टाटा समूह ने हाल में ऐपल के दो प्रमुख वेंडर विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन का अधिग्रहण किया है।
हालांकि इस मामले से अवगत लोगों का कहना है कि चुनौतियां अब भी बरकरार हैं। पूंजीगत उपकरण बनाने वाली देसी कंपनियों को ऐपल की विशेषताओं को पूरा करने के लिए उसके या उसके आपूर्तिकर्ताओं से संभवत: तकनीकी मदद की जरूरत होगी।
बहरहाल यदि ऐपल अमेरिका में आईफोन की कुल जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से निर्यात करने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ती है तो उत्पादन मूल्य को वित्त वर्ष 2025 में 22 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले एक से दो वर्षों में करीब 40 अरब डॉलर करने की जरूरत होगी।