देश की अग्रणी इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनियों ओला इलेक्ट्रिक और एथर एनर्जी ने सरकार की ओर से प्रोत्साहन कार्यक्रमों जैसे सब्सिडी, बैटरी सेल और वाहन के लिए पीएलआई योजना और वस्तु एवं सेवा कर की कम दरें जारी रखने की पुरजोर वकालत की है। उनका कहना है कि सरकार से प्रोत्साहन मिलने से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री बढ़ाने में मदद मिली है।
ओला इलेक्ट्रिक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भवीश अग्रवाल ने कहा, ‘हमारा मानना है कि सरकार देश में ईवी उद्योग के लिए दुनिया में नीति और प्रोत्साहन ढांचा बनाने में सबसे आगे रही है।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भी सरकारी समर्थन से परिवर्तनकारी उद्योगों को बढ़ावा मिला है। अग्रवाल ने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि ईवी को अपनाने में तेजी लाने और उद्योग पर व्यापक प्रभाव के लिए सरकार के सहायता जारी रखेगी।’
इलेक्ट्रिक दोपहिया कारोबार में ओला इलेक्ट्रिक प्रमुख कंपनी है और इस सेगमेंट में उसकी बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है। इलेक्ट्रिक दोपहियों पर फेम-2 के तहत सब्सिडी में कटौती करने के बाद पिछले साल जुलाई में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में अग्रवाल ने कहा था कि ओला सब्सिडी के बगैर आगे बढ़ने पर काम कर रही है और वह इसके बिना भी कारोबार जारी रख सकती है। इलेक्ट्रिक वाहनों और उन्नत रसायन सेल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के लिए ओला सहित दो कंपनियां पात्र पाई गईं।
ओला की प्रतिस्पर्धी कंपनी एथर एनर्जी के सह-संस्थापक तरुण मेहता ने भी इसी तरह की राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि सब्सिडी कंपनी के विकास को सहारा देने के लिए नहीं है बल्कि उसका मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाना है।
उन्होंने कहा, ‘ईवी उद्योग को बढ़ावा देने में सब्सिडी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है और यह इलेक्ट्रिक वाहनों को ग्राहकों के लिए किफायती बनाता है। साथ ही स्टार्टअप को शोध और विकास पर काफी निवेश करने में भी सक्षम बनाया है। हालांकि अभी भी दोपहिया बाजार में ईवी की हिस्सेदारी 5 से 6 फीसदी है, ऐसे में 10 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकार को प्रोत्साहन वाली नीति जारी रखने की जरूरत है।’
इलेक्ट्रिक दोपहियों पर सब्सिडी जारी रखने का दबाव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट प्रस्तुत किए जाने के कुछ दिन पहले आया है। असल में पिछले एक साल के दौरान सब्सिडी में काफी कमी की गई है। वित्त मंत्री वाहन उद्योग के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत पीएलआई के लिए सालाना अवांटन निर्धारित करेंगी।
देश की दूसरी सबसे बड़ी दोपहिया कंपनी बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा का नजरिया अधिक बारीक है। उन्होंने कहा कि पूरे उद्योग के लिए बजाज का व्यापक दृष्टिकोण है कि अगर सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुझान बढ़ाना चाहती है तो सब्सिडी की दरकार होगी।
मगर सबसे अहम सवाल यह है कि क्या सरकार के पास 2030 तक के लिए निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त बजटीय संसाधन उपलब्ध है। इन लक्ष्यों में यात्री वाहनों की पहुंच को बढ़ाकर 30 फीसदी, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की पहुंच को बढ़ाकर 80 फीसदी और वाणिज्यिक वाहनों की पहुंच को बढ़ाकर 70 फीसदी करना शामिल है।
ईवी उद्योग को सरकारी सहायता फेम योजना और अब ईएमपीएस योजना (12,895 करोड़ रुपये) के जरिये वाहन के मूल्य पर प्रत्यक्ष सब्सिडी के रूप में मिलती है। इसके अलावा ईवी के साथ-साथ बैटरी के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के जरिये भी मदद मिलती है।