करीब 30 घरेलू और विदेशी निवेशकों ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद द्वारा ऑनलाइन गेम की संपूर्ण वैल्यू पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित इस पत्र के अनुसार, ‘निवेश कंपनियों का कहना है कि यह निर्णय संवैधानिक रूप से संरक्षित वैध ऑनलाइन कौशल गेमिंग उद्योग को जुए, सट्टेबाजी के साथ जोड़ने की अनुचित कोशिश है।’ इसमें कहा गया है, ‘इस कर से निवेश प्रभावित होगा और निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा।’
उनका कहना है कि इस निर्णय का उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और 50,000 से ज्यादा उच्च-कुशल रोजगार और 10 लाख से ज्यादा उन भारतीय नागरिकों की आजीविका को नुकसान पहुंच सकता है, जो इस उद्योग से अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं।
पत्र में कहा गया है, ‘उद्योग करीब 1 अरब डॉलर का खर्च विज्ञापन पर भी करता है, जो पूरी तरह समाप्त हो जाएगा, जिसका मीडिया एवं एंटरटेनमेंट उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।’ इस निर्णय का अगले तीन-चार साल में करीब 4 अरब डॉलर के संभावित निवेश पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और इससे भारत में गेमिंग क्षेत्र का विकास बाधित हो जाएगा।सरकार के इस कदम के खिलाफ निवेशकों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप का यह पहला उदाहरण है।
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इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली कंपनियों में पीक एक्सवी पार्टनर्स, क्रिसकैपिटल, कालारी कैपिटल, लुमिकई और मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं 19 विदेशी कंपनियों ने भी इस पर हस्ताक्षर किए। इनमें टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, ट्राइब कैपिटल, रिपब्लिक कैपिटल और टेल्स्ट्रा वेंचर्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। पिछले सप्ताह, 100 से ज्यादा गेमिंग कंपनियों ने इस संबंध में वित्त मंत्री को पत्र लिखा था।