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रेलिगेयर मामले में सलूजा को राहत देने से अदालत का इनकार

सलूजा ने 7 फरवरी को होने वाली सालाना आम बैठक में उनकी जगह नए निदेशक की नियुक्ति वाले प्रस्ताव के खिलाफ अदालत में अर्जी दी थी।

Last Updated- February 04, 2025 | 10:18 PM IST
Rashmi Saluja, Chairperson, Religare

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की एक्जीक्यूटिव चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को राहत देने से इनकार कर दिया। सलूजा ने 7 फरवरी को होने वाली सालाना आम बैठक में उनकी जगह नए निदेशक की नियुक्ति वाले प्रस्ताव के खिलाफ अदालत में अर्जी दी थी।

रोटेशन के हिसाब से रिटायर होने वाली सलूजा ने तर्क दिया कि उनकी नियुक्ति पांच साल की तय अवधि के लिए हुई थी जो 2028 में समाप्त होनी है। हालांकि अदालत ने कहा कि उन्हें भले ही साल 2023 में पांच साल के लिए नियुक्त किया गया हो। लेकिन बोर्ड बैठक और एजीएम के मिनट्स में विशेष रूप से रोटेशन के मुताबिक रिटायर होने के बारे में साफ-साफ बताया गया है। न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने कहा कि इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि वादी की यह मानना कि वह सेवानिवृत्त होने के लिए उत्तरदायी है, इसे 2025 में पहली बार पेश नहीं की गई है। यह साफ है कि वादी अपने पक्ष में प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने में विफल रही है।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि वैधानिक प्रक्रियाओं के अधीन हर शेयरधारक को कंपनी के मामलों में भाग लेने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि भागीदारी अनिवार्य रूप से कॉरपोरेट लोकतंत्र का सिद्धांत बनाए रखने के लिए है। शेयरधारकों को सामान्य बैठकों के माध्यम से कंपनी के मामलों को विनियमित और निर्धारित करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो कॉरपोरेट इकाई के भीतर निर्णय लेने के लिए प्राथमिक मंच के रूप में काम करती हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से सलूजा की जगह नए निदेशक की नियुक्ति पर एजीएम और मतदान का रास्ता साफ हो गया है। उनकी याचिका का कंपनी के चार स्वतंत्र निदेशकों और आरईएल में सबसे बड़े शेयरधारक बर्मन परिवार ने विरोध किया, जिन्होंने अतिरिक्त 26 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक खुली पेशकश शुरू की है। शुक्रवार को बंद होने वाली खुली पेशकश में अब तक केवल 1,668 शेयरों के लिए बोलियां मिली हैं।

सलूजा ने खुद को दोबारा नियुक्ति के लिए पेश किया है और मतदान का नतीजा एजीएम में पता चलेगा। मूल रूप से दिसंबर के लिए निर्धारित एजीएम में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष कानूनी कार्यवाही के कारण देरी हुई थी। बाद में एक गैर-शेयरधारक की अर्जी खारिज कर दी गई।

तीन प्रमुख प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों स्टेकहोल्डर्स एम्पावरमेंट सर्विसेज, इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज और इनगवर्न रिसर्च ने कॉरपोरेट गवर्नेंस, ईसॉप्स और उच्च पारिश्रमिक पर चिंताओं का हवाला देते हुए सलूजा की दोबारा नियुक्ति से संबंधित प्रस्ताव के खिलाफ मतदान की सिफारिश की है।

First Published - February 4, 2025 | 10:18 PM IST

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