Google India ने गुरुवार को अपने वार्षिक सम्मेलन में क्लाउड और डिजिटल लर्निंग जैसे क्षेत्रों में कई घोषणाएं कीं। गूगल इंडिया के उपाध्यक्ष एवं कंट्री हेड संजय गुप्ता ने सुरजीत दास गुप्ता और सौरभ लेले से खास बातचीत में स्मार्टफोन के स्थानीय विनिर्माण से लेकर डिजिटल विज्ञापन में बदलाव तक तमाम मुद्दों पर चर्चा की। मुख्य अंश:
जैसा की घोषणा की गई थी कि हमारी योजना 2024 तक पहला मेड इन इंडिया पिक्सल फोन लाने की है। स्मार्टफोन के मामले में हमारा मानना है कि भारत में काफी दिलचस्प अवसर मौजूद है। आज हम अपने हार्डवेयर के डिजाइन, यूआई (यूजर इंटरफेस), यूआई (उपयोगकर्ता अनुभव) आदि के लिए यहां काफी काम करते हैं।
मैं समझता हूं कि यह भारत में क्षमता स्थानांतरित करने के बजाय भारत के लिए क्षमता निर्माण का मामला ज्यादा है। क्रोमबुक या ऐसे किसी अन्य उपकरण के लिए चुनौती यह है कि कीमत अभी भी हरेक भारतीय के लिए अनुकूल नहीं है। ऐंड्रॉयड ने स्मार्टफोन के दाम घटाने में काफी मदद की है। अन्य नोटबुक काफी महंगे हैं लेकिन हम 20 से 25 हजार रुपये कीमत पर क्रोमबुक बेचते हैं। मैं समझता हूं कि हम यहां विनिर्माता के तौर पर एचपी क्रोमबुक से काफी कुछ सीखेंगे। हम यह भी सीखेंगे कि भारत में उत्पादन करने से कीमत को कैसे कम किया जा सकता है।
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हमारे लिए तमाम उपाय सुझाए गए थे। हमने सुझाए गए सभी उपायों पर पूरी तत्परता से काम किया है। यह मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में है। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीली पंचाट (एनसीएलएटी) ने कुछ उपायों को हटा दिया है क्योंकि वे ग्राहकों के लिए नुकसानदेह नहीं थे। मगर मैं समझता हूं कि हमने वह सब किया है जिसकी हमसे अपेक्षा की गई थी। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि हम ‘बंडल्ड’ हैं।
हमने 2020 में जब इस कोष की घोषणा की थी तो सुंदर (गूगल के सीईओ सुंदर पिचई) ने कहा था कि वह अगले 5 से 7 वर्षों के लिए था। पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमने उनमें से अधिकांश रकम का निवेश किया है लेकिन कई पड़ावों तक पहुंचना अभी बाकी है। हम रणनीतिक अवसरों पर अभी भी खर्च कर रहे हैं मगर उनका आकार पहले के मुकाबले छोटा है। हमने रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों में बड़े निवेश किए हैं।
हम देश के कानून का अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम कानून की जरूरतों के हिसाब से अनुपालन करते हैं। हमारा सिद्धांत बिल्कुल सरल है कि अगर यह ग्राहकों के लिए अच्छा है तो कारोबार के लिए भी अच्छा है। जहां तक अनुपालन के लिए समय की बात है तो मैं समझता हूं कि यह विशुद्ध रूप से वाणिज्यिक मामला है। ग्राहक के तौर पर मैं केवल इतना कहूंगा कि मैं डेटा के लिए जो भुगतान करता हूं वह दूरसंचार ऑपरेटरों को मिलना चाहिए और सामग्री के लिए किया गया भुगतान प्लेटफॉर्म को मिलना चाहिए।
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भारत अभी भी सबस्क्रिप्शन के लिए खर्च करना सीख रहा है। हम जहां मौजूद हैं उससे खुश हैं। मगर यह बाजार काफी बड़ा है। देश के तौर पर हम सबस्क्रिप्शन के लिए खर्च करने में अभी भी संकोच करते हैं लेकिन स्थिति बदल रही है।
वह 2024 की पहली तिमाही में चालू हो जाएगा।
गूगल ने भारत में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें तीन से चार चीजों ने काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह एक शानदार सफर रहा है। फिलहाल हमें जेनरेटिव एआई पर भरोसा है और हम भारत में अगला कदम बढ़ाने के लिए तैयार हैं। हम जेनरेटिव एआई की ताकत का उपयोग खास तौर पर भाषा में करना चाहत हैं ताकि सभी भाषाओं में सेवाएं कहीं अधिक आसानी से सुलभ हो सकें।