बीएस बातचीत
भारत के दो बिजली एक्सचेंजों इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) और पावर एक्सचेंज इंडिया (पीएक्सआईएल) ने रियल-टाइम मार्केट (आरटीएम) के आधार पर बिजली की ट्रेडिंग शुरू कर दी। आईईएक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी राजीव श्रीवास्तव ने ज्योति मुकुल और श्रेया जय के साथ बातचीत में कहा कि अगला चरण परंपरागत और अक्षय ऊर्जा की हाइब्रिड ट्रेडिंग होनी चाहिए। पेश है संपादित अंश:
इन दिनों में रियल टाइम मार्केट का होना कितना महत्त्वपूर्ण है?
रियल टाइम मार्केट होने से लोगों को अपने बिजली आवश्यकता में उतार चढ़ाव के लिए करीब-करीब वास्तविक समय के आधार पर इसका प्रबंध करने की सहूलियत मिलती है। लोग अपनी जरूरत के हिसाब से एक घंटे के भीतर बिजली खरीद सकते हैं। हम जानते हैं कि बिजली क्षेत्र में उतार चढ़ाव बहुत तेजी से होता है। हर मिनट इसमें बदलाव आता रहता है। आरटीएम आपको इसके लिए बजट बनाने की अनुमति देता है। पहले लोग उसी दिन बिजली खरीदते थे या फिर अगले दिन लेकिन अब आपको कम से कम दो घंटे पहले बिजली खरीदनी पड़ती है। इसका प्रबंध विचलन निपटान तंत्र के जरिये किया जा रहा है जिसका मतलब है कि जब खरीदार को अपनी जरूरत बढ़ानी है वह ग्रिड से अधिक बिजली ले लेता है। ग्रिड से अतिरिक्त बिजली लेने पर नियामक प्राधिकरण आप से जुर्माने के रूप में एक निश्चित राशि वसूल करता है। अब आरटीएम के आ जाने से अतिरिक्त बिजली लेने की आवश्यकता नहीं रह गई है। इसका मतलब है कि आपके जुर्माने की राशि में काफी कमी आएगी।
आरंभिक सत्र में कितनी ट्रेडिंग हुई?
हमें इस उत्पाद के लिए अपने एक्सचेंज पर अच्छी खासी खरीद बिक्री होती नजर आ रही है। पहले दो दिनों में करीब 90 भागीदारों ने इसमें हिस्सा लिया। कीमत अत्यधिक आकर्षक है और तरलता वास्तव में अच्छी खासी है। यह बहुत ही लचीले, सक्षम और किफायती तरीके से 24 घंटे सातों दिन बिजली आपूर्ति की सहूलियत प्रदान करता है। पहले 48 सत्रों में हमारी मात्रा करीब 34 लाख यूनिट (किलोवाट प्रति घंटा) थी। देश भर से प्रत्येक संभावित बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम), खुला उपयोग वाले खरीदार और स्वतंत्र बिजली उत्पादक ने इसमें हिस्सा लिया। हमारे पास एनीटीपीसी, सेम्बकॉर्प और उत्पादकों की पूरी शृंखला और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, असम, चंडीगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कई दूसरे राज्यों से डिस्कॉम थी। इस्पात, जिंक और लौह कंपनियों जैसी खुला उपयोग उपभोक्ता आ रही हैं।
लॉकडाउन के कारण बहुत सी मांग बाजार से चली गई और अब मांग में विचलन बढ़ रहा है। क्या आपको लगता है कि ऐसी स्थिति में आरटीएम एक वरदान साबित होगा?
चाहे जैसे हो, आरटीएम एक वरदान है। जब मार्च के अंत में लॉकडाउन की घोषणा की गई और पूरे अप्रैल कठोर लॉकडाउन लागू था तो हमने देखा कि उच्च मांग में 35 फीसदी की कमी आई और आधार मांग करीब 25 फीसदी घट गई। उसी दौरान एक्सचेंज में केवल 6.6 फीसदी की कमी आई। मई में मांग में कमी 10 से 15 फीसदी की रही लेकिन हमारे पास मांग में सालाना आधार पर करीब 50 फीसदी की वृद्धि रही। जब कीमतें कम होती हैं तब वितरण कंपनियों और खुला उपयोग वाले उपभोक्ताओं के पास एक्सचेंज पर अधिक खरीदारी करने और अपने पोर्टफोलियो पर पैसा बचाने का मौका होता है।
क्या आप उसी प्लेटफॉर्म से स्वच्छ और परंपरागत बिजली बेच सकते हैं?
स्वच्छ और अस्वच्छ ऊर्जा जैसी कोई बात नहीं है। हम सीईआरसी और ऊर्जा मंत्रालय से इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि पूरी तरह से स्वच्छ बिजली की ट्रेडिंग की स्थापना की जाए। दोनों के लिए वित्त की व्यवस्था अलग तरह से होती है।
आप इस साल के लिए बिजली मांग को किस तरह से देखते हैं?
यहां से बिजली की मांग बढऩे लगेगी। अप्रैल और मई में औद्योगिक गतिविधि में बहुत नरमी थी। हमारे पास बहुत से औद्योगिक उपभोक्ता हैं जो एक्सचेंज पर आकर बिजली खरीद करते हैं