भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) विनिवेश प्रकिया से पहले भारत ओमान रिफाइनरी (बीओआरएल) का विलय कर सकती है। इसके लिए शर्त यह है कि ओक्यू (पूर्व में ओमान ऑयल कंपनी) बीपीसीएल शाखा में अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार हो जाए।
फिलहाल, कंपनी में बीपीसीएल की हिस्सेदारी 63.38 फीसदी के करीब है और ओक्यू की हिस्सेदारी करीब 36.62 फीसदी है। हालांकि, इस मामले से अवगत एक सूत्र ने कहा कि यदि कुछ ऋणपत्रों और वारंट को शामिल कर लिया जाए तो बीपीसीएल की कुल हिस्सेदारी करीब 74 फीसदी हो जाएगी और ओक्यू की करीब 26 फीसदी रह जाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि सरकारी स्वामित्व वाली ओमान कंपनी सौदे के लिए तैयार हो जाती है तो बीओआरएल को बीपीसीएल के साथ विलय करना बेहतर होगा क्योंकि यह उत्पादों की बिक्री में कर लाभ देगा और निजीकरण की प्रक्रिया में बीपीसीएल के मूल्य में भी इजाफा करेगा।
हाल में मीडिया को संबोधित करते हुए बीपीसीएल के निदेशक (वित्त) एन विजयगोपाल ने कहा, ‘हमने अभी ओमान से बातचीत शुरू ही की है। दोनों पक्ष इसके लिए इच्छुक हैं। चूंकि यह एक अधिकृत सौदा है, लिहाजा हम इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं कर सकते।’ मार्च में बीपीसीएल ने 650 करोड़ रुपये के वारंट को शेयरों में तब्दील कर बीओआरएल में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई थी। इसके बाद इसकी हिस्सेदारी 50 फीसदी से बढ़कर 63.38 फीसदी हो गई है।
इसके अलावा बीपीसीएल ने बीओआरएल को 1,250.10 करोड़ रुपये का ऋण दिया है और 935.68 करोड़ रुपये का शेयर वारंट खरीदा है। इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने भी बीओआरएल में 26.90 करोड़ रुपये का शेयर वारंट खरीदा है। बीपीसीएल ने भी बीओआरएल में 1,000 करोड़ रुपये के ऋणपत्र खरीदे हैं जिसमें अनिवार्य तब्दीली शून्य है। 31 मार्च तक बीओआरएल के पास 7,000 करोड़ रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी और 2,426.83 करोड़ रुपये की चुकता इक्विटी शेयर पूंजी थी।
कोविड-19 के प्रसार के कारण 2019-20 के लिए बीओआरएल का शुद्घ घाटा 803.50 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वर्ष उसे 106.71 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। कंपनी ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में परिचालनों से अर्जित राजस्व 41,940.96 करोड़ रुपये बताया था जबकि पिछले वित्त वर्ष में 31,597.59 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त किया था।
भौतिक रूप से जांच परख (ड्यू डिलिजेंस) करने के लिए विभिन्न देशों से गुजरने को लेकर संभावित बोलीदाताओं की ओर से चिंता जताया जााने के बाद सरकार ने पिछले महीने लगातार चौथी बार अभिरुचि पत्र को जमा कराने की तारीख को रद्द कर इसे 16 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया था। निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक अधिसूचना में कहा कि निर्णय इच्छुक बोलीदाताओं से मिले अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए और कोविड-19 के कारण उपजी परिस्थितियों के कारण लिया जा रहा है।