सरकार एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल बैटरियां (advanced chemistry cell battery) बनाने से संबंधित प्रोत्साहन संबद्ध योजना (PLI) के लिए चुनी गई कंपनियों में एक के निकलने के बाद खाली जगह भरने के लिए दोबारा आवेदन मंगाने पर विचार कर रही है।
कुल 50 गीगावॉट आवर्स (GWH) क्षमता के लिए बैटरियां बनाने की परियोजना में 20 GWH क्षमता के लिए ह्युंडै ग्लोबल मोटर्स (Hyundai Global Motors) सफल बोलीदाताओं में एक थीं मगर बाद में इसने अपना नाम वापस ले लिया।
इससे पहले इस योजना से जुड़े पक्षों को लग रहा था कि खाली पड़ी जगह प्रतीक्षा सूची की कंपनियों में किसी को एक को दी जा सकती है। बोली लगाने के लिए नया आवेदन मंगाने पर जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
सरकार ने शुरू में ह्युंडै को चार सफल कंपनियों में एक घोषित किया था। इस PLI योजना के लिए नौ कंपनियों ने बोलियां लगाई थीं। मगर ह्युंडै मोटर कंपनी ने कहा कि उसका ह्युंडै ग्लोबल मोटर्स से कोई संबंध नहीं है और वह न ही उसके ट्रेडमार्क या लोगो का इस्तेमाल कर सकती है। इसके बाद सरकार को ह्युंडै ग्लोबल मोटर्स की पेशकश पर विचार करना पड़ा।
PLI योजना के तहत सरकार ने 50 GWH क्षमता वाली एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल बैटरियां बनाने के लिए कंपनियों को 18,100 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देने की पेशकश की थी। चार कंपनियां बोली प्रक्रिया में सफल रही थीं।
इनमें सबसे पहले राजेश एक्सपोर्ट का नाम था। इस कंपनी को सरकार ने 5 GWH क्षमता की बैटरियां बनाने को कहा था। इसके बाद ह्युंडै ग्लोबल मोटर्स का नाम था। कंपनी को कुल 20 GWH क्षमता का बैटरियां बनाने का ठेका दिया गया था। ओला इलेक्ट्रिक तीसरी कंपनी थी। इसे भी 20 GWH क्षमता का बैटरियां बनाने का ठेका दिया गया था। रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर चौथी कंपनी थी जिसने 20 GWH क्षमता की बैटरियां बनाने का ठेका मांगा था मगर उसे शेष 5 GWH क्षमता के लिए ठेका दिया गया।
अब ह्युंडै के बाहर होने के बाद सरकार ने पिछले साल जुलाई में अन्य तीन कंपनियों के साथ PLI योजना के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि शुरुआत में करीब 20 GWH क्षमता प्रतीक्षा सूची की कंपनियों को देने पर चर्चा चली थी। इस तरह रिलायंस प्रतीक्षा सूची में शामिल कंपनियों की सूची में सबसे पहले स्थान पर थी। इसे 5 GWH क्षमता के लिए ठेका दिया गया।
यह भी पढ़ें : Oil India के शेयरों का दमदार रहा प्रदर्शन
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा भी प्रतीक्षा सूची की कंपनिय़ों में शामिल थी और इसे भी 5 GWH क्षमता के लिए ठेका दिया गया। प्रतीक्षा सूची में शामिल अन्य़ कंपनियों में एक्साइड बैटरीज, लार्सन ऐंड टुब्रो, अमर राजा बैटरीज और इंडिया पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड शामिल थीं।
भारत सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली लिथियम बैटरियों के लिए सेल का निर्माण नहीं करता है। इनका देश में आयात होता है इसलिए देश में आयात पर खर्च अधिक होने का अंदेशा बढ़ जाता है। सरकार के अनुसार एडवांस्ड सेल केमिस्ट्री के लिए PLI योजना से सेल के आयात पर होने वाले खर्च में 2,0,000 से 2,50,000 लाख रुपये की बचत होगी। इस परियोजना में कंपनियां 45,000 करोड़ रुपये का सीधा निवेश करेंगी।