भारत की संकटग्रस्त शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बैजूस के संस्थापक बैजूस रवींद्रन ने अवसरवादी ऋण खरीदारों पर दिवालिया कार्यवाही के जरिये ‘जबरन अधिग्रहण’ की साजिश रचने का आरोप लगाया और दावा किया कि उन्होंने उनके कभी 22 अरब डॉलर वाले स्टार्टअप पर नियंत्रण हासिल करने के लिए भारी छूट पर फंसे ऋण खरीदे।
बैजूस के रूप में परिचालन करने वाली थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू होने का एक साल पूरा होने पर लिंक्डइन पर लंबे बयान में रवींद्रन ने कहा कि कंपनी उस समय ब्याज का भुगतान कर रही थी, जब लेनदारों ने देरी से ऑडिट फाइलिंग से संबंधित ‘तकनीकी चूक’ के कारण दिवालिया कार्रवाई शुरू कर दी।
रवींद्रन ने कहा, ‘यह कोई सामान्य दिवालियापन नहीं था। यह एक ‘कॉर्पोरेट हमला’ था। अवसरवादी द्वितीयक ऋण खरीदारों का ऋणदाता के रूप में जबरन अधिग्रहण का प्रयास, जो एक कंपनी को नष्ट करके अपना पैसा दोगुना करने की कोशिश कर रहे हैं।’
उद्यमी ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने कंपनी को चालू रखने के लिए 80 करोड़ डॉलर से ज्यादा की निजी रकम लगाई। उन्होंने उन लोगों के खिलाफ 2.5 अरब डॉलर का हर्जाना मांगने की योजना का ऐलान किया, जिन्हें उन्होंने ऐसा ‘वित्तीय शिकारी’ बताया है जिन्होंने 85,000 कर्मचारियों और 25 करोड़ छात्रों वाली कंपनी का मूल्य नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा, ‘बैजूस के साथ जो हुआ, वह ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकता है जो मूल्यवान चीज का निर्माण कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरा मामला नहीं है। यह उन 85,000 लोगों का मामला है जो कभी बैजूस में काम करते थे, उन 25 करोड़ छात्रों का है, जो हमारे साथ पढ़ते हैं।