नकदी किल्लत का सामना कर रही एडटेक फर्म बैजूस बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) के सामने पेश हुई। कंपनी ने यह फैसला करने के लिए 48 घंटे का समय मांगा है कि उसे निवेशकों के साथ विवाद के बीच अपनी संपत्ति को गिरवी रखने, बेचने अथवा हस्तांतरण नहीं करने का वचन देना चाहिए।
इस साल की शुरुआत में बैजूस के अमेरिकी ऋणदाताओं ने एडटेक कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला कार्यवाही शुरू करने के लिए बेंगलूरु में एनसीएलटी पीठ का रुख किया था। बैजूस को 1.2 अरब डॉलर का टर्म लोन देने वाले ऋणदाताओं के तदर्थ समूह ने कहा कि जीएलएस ट्रस्ट लिमिटेड (टर्म लोन के प्रशासनिक और रेहन एजेंट) ने थिंक ऐंड लर्न के खिलाफ पीठ के समक्ष याचिका दाखिल की थी।
29 मई को बैजूस के अमेरिकी ऋणदाताओं ने एनसीएलटी से अनुरोध किया था कि उसे अपने शेयरों को गिरवी रखने, बेचने अथवा हस्तांतरित करने से रोका जाए।
उम्मीद है कि अब बैजूस अपने फैसले के बारे में एनसीएलटी को जानकारी देगी और मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को की जाएगी। अधिकरण ने 3 जुलाई को बैजूस दिवस के तौर पर बताया था क्योंकि उस दिन एडटेक कंपनी के खिलाफ करीब 10 याचिकाओं पर सुनवाई होने वाली थी।
एक दूसरे मामले में एनसीएलटी के बेंगलूरु पीठ ने टेलीमार्केटिंग कंपनी सर्फर और मोबाइल फोन विनिर्माता ओपो द्वारा बैजूस के खिलाफ दायर दिवालिया याचिका को सुरक्षित रख लिया है।
पिछले हफ्ते, ओपो ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) के बेंगलूरु पीठ को बताया था बैजूस ने उसके फोन पर उनके ऐप्लिकेशन प्री-इंस्टॉल करने के लिए 13 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है।
ओपो ने कहा था कि बैजूस ने उसे बकाया रकम के भुगतान की बात स्वीकार की है और अब यह स्पष्ट हो गया है कि बकाया रकम वसूलने के लिए एडटेक कंपनी को दिवालिया घोषित करना होगा। सर्फर टेक्नोलॉजिज का तर्क था कि बैजूस पर 2.3 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था। कंपनी ने दावा किया कि उसने दिसंबर, 2023 में इस बारे में एडटेक कंपनी को नोटिस भी भेजा था।