बीएस बातचीत
सिटी इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी आशु खुल्लर ने उपभोक्ता बैंकिंग कारोबार से निकलने की घोषणा के बाद अपने पहले साक्षात्कार में पवन लाल को बताया कि बैंक ने अपने संस्थागत कारोबार को और सुदृढ़ बनाने का लक्ष्य रखा है। संपादित अंश:
कंज्यूमर बैंकिंग कारोबार को बेचे जाने की प्रक्रिया की क्या स्थिति है और भारत में आपके कारोबार के लिए इस रणनीति का क्या मतलब है?
यह हमारे नए नेतृत्व द्वारा लिया गया रणनीतिक निर्णय है और इसे सही मायने में उन क्षेत्रों में पूंजी लगाना और निए सिरे से निवेश करना कह सकते हैं, जहां वैश्विक स्तर पर सिटी होड़ में है। इसमें संस्थागत क्षेत्र है और इस कारोबार के लिए करीब 100 देशों में हमारा नेटवर्क है। इस कारोबार में अब भी निवेशक की जरूरत है और इसका प्रतिफल भी काफी अधिक है।
भारत में उपभोक्ता कारोबार देसी कारोबार के तौर पर विकास कर रहा है, जिसका वैश्विक स्तर पर तालमेल नहीं बैठता और स्थानीय भागीदार ही इस कारोबार में बेहतर काम कर रहे हैं।
इसलिए हम नियोजित तरीके से बिक्री करने जा रहे हैं। यह कारोबार को अचानक नहीं बेचा जा रहा। हम इसे अपनी शर्तों और उचित मूल्य पर बेचेंगे तथा खरीदार हमारे ग्राहकों और करीब 3,000 कर्मचारियों को बेहतर मौका देंगे। उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक खरीदार मिल जाएगा। पूरी प्रक्रिया में 12 से 18 महीने का वक्त लग सकता है।
नकदी प्रबंधन, व्यापार ऋण कारोबार में हमारा दबदबा है। विदेशी बैंक होने के बावजूद भारत की भुगतान प्रणाली का 7 से 10 फीसदी हमारे पास है। इक्विटी पूंजी बातार और निवेश बैंकिंग कारोबार में हम ही अग्रणी हैं। हम भारत में अपने लेनदेन कारोबार को नई रणनीति के साथ परिभाषित करने की प्रक्रिया में हैं।
अपने संस्थागत कारोबार को और सुदृढ़ बनाने की आपकी रणनीति क्या होगी?
भारत में हमारे ग्राहकों का आधार काफी व्यापक है। हम भारतीय कंपनियों और निवेशकों को बाहर मौका उपलब्ध करा सकते हैं और विदेशी निवेशक को देश में ला सकते हैं। हम सबसे बड़े विदेशी मुद्रा विनिमय सेवा प्रदाता भी हैं। विदेशी पूंजी एफडीआई या एफपीआई के जरिये जाती है और हम दोनों मामलों का प्रबंधन करने की बेहतर स्थिति में हैं। हमने वाणिज्यिक रियल एस्टेट और वितरक व्यापार फाइनैंस में भी निवेश किया है। अल्पावधि में भारत में उतार-चढ़ाव हो सकता है लेकिन इसके जैसी वित्तीय क्षमता गिने-चुने देशों में ही है।
पिछले साल भारत सहित दुनिया भर में कारोबार चुनौतीपूर्ण रहा। क्या 2021 के वित्तीय नतीजे निराशाजनक रहेंगे?
हम सभी के लिए पिछला साल असाधारण रहा। हमारा ध्यान ग्राहकों, समुदाय पर रहा और हमारे ग्राहकों ने भी इस पर त्वरित प्रतिक्रिया दी। शुरुआती दौर में उन्होंने तरलता और पूंजी निवेश को बढ़ावा दिया एवं महामारी में कारोबार का डिजिटल तरीका अपनाया। कुल मिलाकार हमारी कारोबारी गतिविधियां अच्छी रही हैं। आय और मुनाफे दोनों में हमें वृद्घि की उम्मीद है। हालांकि व्यापक स्तर पर उधारी मांग नरम रही है और हम लोन बुक बढ़ाने का उपाय तलाश रहे हैं। ऐसे में आप एक अंक में वृद्घि देख सकते हैं।
सिटी हमेशा से ही नियुक्ति करने में अग्रणी रही है और वैश्विक बाजारों में भी प्रतिभाएं भेजती है, सिटी में अहम पदों पर कौन हैं। क्या बिक्री के बाद इस पर असर पड़ेगा?
भारत हमारे लिए हमेशा प्रतिभा का केंद्र रहेगा। दुनिया भर में कर्मचारियों को इधर-उधर करना प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। हमारे साथ 23,000 कर्मचारी काम करते हैं और साल के अंत तक उनकी संख्या 25,000 हो जाएगी। हम हर साल औसतन 3,000 नई भर्तियां करते हैं। आगे भी भर्तियां जारी रहेंगी।
बदलते आर्थिक परिदृश्य में क्या आपको लगता है कि भारत में चीन+1 की तरह मजबूत दावेदार बनने की क्षमता है?
भारत में विविधीकरण की वजह से हमेशा से ही व्यापक संभावनाएं रही हैं। कोविड की वजह से चीन+1 रणनीति पर सब बात कर रहे हैं लेकिन चीन बड़ा बाजार है और कोई वहां से बाहर निकलना नहीं चाहेगा। हां, मैं यह जरूरत कह सकता हूं कि भारत सरकार इसे अवसर के तौर पर देख रही है और कर सुधार, भूमि सुधार, बुनियादी ढांचे पर जोर तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन जैसे अहम कदम उठा रही है। दीर्घावधि में आपूर्ति शृंखला पर जोर रहेगा और भारत इस लिहाज से शानदार स्थिति में होगा।
क्या आपको लगता है कि भारत आगे और पूंजी जुटा सकता है?
इक्विटी बाजार, ईएसजी, स्पैक आदि गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है क्योंकि ब्याज दरें काफी आकर्षक हैं और दस साल के ट्रेजरी बिल पर प्रतिफल 1.3 फीसदी तक घट गया है। इससे बाजार में तरलता बढ़ गई है। महामारी की दूसरी लहर के बावजूद भारत में तेजी से सुधार की उम्मीद है। साल के पहले छह महीने में 15 अरब डॉलर इक्विटी के जरिये और इतने ही ऋण के जरिये जुटाए जा चुके हैं। हाल ही में हमने जोमैटो के आईपीओ पर निवेशकों का दुलार बरसते देखा है। उपभोक्ता तकनीक और स्वास्थ्य तकनीक क्षेत्र की कई अन्य कंपनियां भी पूंजी बाजार में आने की तैयारी कर रही हैं। हमें पूरा यकीन है कि भारत के पूंजी बाजार और विलय एवं अधिग्रहण में आगे और तेजी आएगी।