क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) के अनुमान के अनुसार सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) से जुड़े परिधान निर्माताओं को जनवरी-मार्च तिमाही में 5,000-7,000 करोड़ रुपये के नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि सरकार ने आयकर अधिनियम में संशोधन किया है।
इस संशोधन के तहत एमएसएमई से खरीदे गए सामान के लिए 45 दिन के अंदर भुगतान किए जाने की जरूरत होगी, जिस वजह से खुदरा विक्रेताओं को या तो एमएसएमई कंपनियों के साथ ऑर्डर रद्द करना होगा या गैर-एमएसएमई खिलाड़ियों से खरीदारी करने का विकल्प चुनना होगा। अक्सर, रिटेल उद्योग भुगतान करने के लिए 90-120 दिन के ऋण चक्र पर अमल करता है, जिसमें कभी कभी 180 दिन भी लग जाते हैं।
पिछले साल, सरकार ने आयकर कानून एमएसएमई की धारा 43बी में संशोधन किया और धारा (एच) को शामिल किया। संशोधन के अनुसार, यदि भुगतान 45 दिन के अंदर नहीं किया जाता है तो उसे आय के तौर पर समझा जाएगा और भुगतान के बाद ही इसे खर्च माना जाएगा।
सीएमएआई ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘चर्चित रिटेलरों के लिए भी भुगतान करने के लिए इस समय-सीमा पर अमल करना आम बात है। इसके परिणामस्वरूप, खुदरा विक्रेताओं के लिए 45-दिवसीय भुगतान चक्र को समायोजित करने के लिए तुरंत अपने व्यवसाय मॉडल में संशोधन की अपेक्षा काफी अवास्तविक है।’
इसमें यह भी कहा गया है, ‘इसके अलावा, बड़ी संख्या में खुदरा विक्रेता विनिर्माताओं को बिना बिके माल वापस करने पर विचार कर रहे हैं, जिससे वे इन वस्तुओं के भुगतान के दायित्व से मुक्त हो जाएंगे।’
सीएमएआई के मुख्य मार्गदर्शक राहुल मेहता का मानना है कि रिटेलर उन निर्माताओं के साथ ऑर्डर देने पर जोर देंगे जो एमएसएमई की श्रेणी में नहीं आते हैं और जहां उन्हें 45 दिनों के भीतर भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। सीएमएआई ने अपने सुझाव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दिए हैं और संशोधन के कार्यान्वयन को रोकने और तीन साल की अवधि में क्रेडिट दिनों में कटौती करने को कहा है।
सीएमएआई ने क्रेडिट दिनों में कटौती 31 मार्च 2025 तक अधिकतम 90 दिन और उसके बाद 31 मार्च 2026 तक 60 दिन और 31 मार्च 2027 तक 45 दिन करने को कहा है।
उसने एक एमएसएमई सदस्य से दूसरे एमएसएमई सदस्य को भुगतान को इस संशोधन के दायरे से छूट देने को भी कहा है। सीएमएआई के अध्यक्ष राजेश मसंद ने कहा, ‘एमएसएमई क्षेत्र में भुगतान विलंब की समस्या से उसका विकास प्रभावित हुआ है और अच्छी बात है कि सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए कदम उठाए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘एमएसएमई क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियां दूर करने के लिए सरकार के प्रयासों के बावजूद परिधान क्षेत्र में कई तरह की पेचीदगियों ने आशंकाओं को बढ़ावा दिया है। रिटेलरों से ऑर्डर रद्द होने जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं जिससे उद्योग में चिंता गहरा रही है।’