भारत की शीर्ष आईटी सेवा कंपनियों में कम लागत के साथ अधिकतम मूल्य प्रदान करने वाले सौदों की धीरे-धीरे वापसी हो रही है और नियुक्तियों में इजाफा नजर आने के आसार हैं क्योंकि अनिश्चित विस्तृत आर्थिक माहौल के बीच लागत कम करने के लिए ग्राहक प्रौद्योगिकी की ओर रुख कर रहे हैं।
आम तौर पर शीर्ष स्तरीय आईटी कंपनियां 10 करोड़ डॉलर या उससे ज्यादा राशि वाले सौदों को बड़े सौदे मानती हैं और 50 करोड़ डॉलर से अधिक राशि वाले सौदों को बहुत बड़े सौदों (मेगा डील) के रूप में इंगित किया जाता है। हाल के महीनों में टीसीएस और इन्फोसिस दोनों ने ही मेगा डील हासिल किए जाने की घोषणा की है।
एचएफएस रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी और मुख्य विश्लेषक फिल फर्शट ने कहा कि ये मुख्य रूप से लागत पर केंद्रित ऐसे सौदे हैं, जिनमें परिवर्तन पर बड़ा ध्यान दिया गया है। लेकिन टीसीएस और इन्फी के मामले में ये निवेश के लिए अच्छे दीर्घकालिक ग्राहक हैं, क्योंकि हम इस उथल-पुथल भरे वक्त से बाहर निकल रहे हैं।
हाल के दिनों में इन्फोसिस ने डेनमार्क के डैंस्क बैंक के साथ रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता बैंक की डिजिटल परिवर्तन पहल को रफ्तार देने और उसके स्तर में तेजी लाने के लिए किया गया है। पांच साल की अवधि वाला यह सौदा 45.4 करोड़ डॉलर का रहने का अनुमान जताया गया है, जिसमें एक अतिरिक्त वर्ष के लिए अधिकतम तीन बार नवीनीकरण का विकल्प होगा। यह अधिग्रहण वित्त 24 की दूसरी तिमाही से पहले पूरा होने की उम्मीद है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने ब्रिटेन के नैशनल एम्प्लॉयमेंट सेविंग्स ट्रस्ट (नेस्ट) के साथ कुल 18 वर्ष की अनुबंध अवधि के लिए 1.9 अरब डॉलर का समझौता किया है। इस महीने की शुरुआत में टीसीएस ने इंगलैंड और वेल्स में शिक्षक पेंशन योजना के लिए ग्राहक अनुभव बढ़ाने और उसका प्रबंध करने के लिए शिक्षा विभाग के साथ 10 साल का अनुबंध किया था।
इस साल फरवरी में टीसीएस ने ब्रिटने के फीनिक्स ग्रुप होल्डिंग्स के साथ 72.3 करोड़ डॉलर का सौदा और ब्रिटेन की खुदरा विक्रेता एमऐंडएस के साथ 10 साल का ठेका हासिल किया था। टीसीएस के मामले में लिए ऐसे बहुत बड़े सौदे तकरीबन चार साल बाद लौट रहे हैं।
आईएसजी विशेषज्ञों के साथ बातचीत पर आधारित आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार इस साल जून के आखिरी दो सप्ताह में निर्णय लेने की क्षमता में सुधार देखा जा रहा है। इसके अलावा पाइपलाइन वाले सौदों में मजबूती बनी हुई है। बेशक वे इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं कि मार्च 2023 में मंदी (जो बैंकिंग संकट से प्रभावित थी) के बाद अप्रैल से मई 2023 के बीच मांग के माहौल में सुधार नहीं हुआ है।