भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) का बिल एग्रीगेशन प्लेटफॉर्म भारत कनेक्ट इस साल मार्च तक कारोबार के लिए भारत बिलपे पेश कर सकता है। मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने यह जानकारी दी है। भारत कनेक्ट को पहले भारत बिलपे के नाम से जाना जाता था, जो कंपनियों को एनपीसीआई द्वारा थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन प्रदाताओं (टीपीएपी) को दिए जाने वाले समान मॉडल की तरह ही बिजनेस टू बिजनेस (बीटूबी) भुगतान के लिए अधिकृत करेगा। टीपीएपी उपयोगकर्ताओं को भारत के वास्तविक भुगतान प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) पर लेनदेन में सक्षम बनाता है।
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा, ‘यह उसी तरह है जैसे एनपीसीआई टीपीएपी के लिए करता है, जो सिर्फ व्यक्ति से व्यक्ति (पीटूपी) और व्यक्ति से कारोबारी (पीटूएम) को पूरा करता है। भारत बिलपे (बीबीपीएस) द्वारा जारी यह बीटूबी भुगतान पर ध्यान केंद्रित करेगा।’
फिलहाल, प्लेटफॉर्म पर जारी होने वाले इनवॉयस की संख्या और प्लेटफॉर्म पर होने वाले भुगतान को प्रायोगिक चरण के तौर पर भारत कनेक्ट इसकी निगरानी कर रहा है। खबर प्रकाशित होने तक प्लेटफॉर्म ने पिछले हफ्ते ही बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
एनपीसीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारत कनेक्ट इसकी पेशकश से पहले आठ कंपनियों के साथ प्रायोगिक परीक्षण कर रही है। मामले पर करीब से नजर रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि इन कंपनियों में एमस्वाइप, वायना, एनकैश, कैशफ्री पेमेंट्स, जोहो, ओपन, पेमेट और एक और कंपनी शामिल है।
बैंक, एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) प्रदाता और बीटूबी फिनटेक कंपनियां इस पेशकश को बढ़ाने के लिए कारोबार के लिए बीबीपीएस से जुड़ सकते हैं।
अगस्त में भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर शक्तिकांत दास ने कारोबार के लिए भारत बिलपे की शुरुआत की थी औक इसका उद्देश्य बीटूबी भुगतान और संग्रह को व्यवस्थित करना था। इसकी घोषणा ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024 में की गई थी। मगर यूपीआई लेनदेन के विपरीत बीटूबी भुगतान काफी जटिल प्रक्रिया है क्योंकि यह कारोबार से जुड़े महत्त्वपूर्ण लेनदेन की सुविधा देता है। यूपीआई में उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए अपने बैंक खाते को यूनिक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) से जोड़ना पड़ता है।
फिलहाल, ग्राहक भारत कनेक्ट प्लेटफॉर्म पर 20 से अधिक श्रेणियों में बिल का भुगतान कर सकते हैं। ये बड़े पैमाने के लिए हैं और इनमें बिजली, मोबाइल बिल, फास्टैग, ऋण भुगतान, एलपीजी, क्रेडिट कार्ड, बीमा आदि शामिल हैं।
वित्त वर्ष 2024 में प्लेटफॉर्म पर लेनेदेन की मात्रा एक साल पहले के 1.10 अरब के मुकाबले 25.74 फीसदी बढ़कर 1.38 अरब हो गई थी। पीडब्ल्यूसी ने अपने एक विश्लेषण में अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2025 में लेनदेन की यह मात्रा 35 फीसदी बढ़कर 1.87 अरब और वित्त वर्ष 29 में लेनदेन चार गुना होकर 6 अरब से अधिक हो जाएगी।