बीएस बातचीत
कोविड-19 से मिली सीख को हल्के में नहीं लिया जा सकता है और बैंक आफ बड़ौदा को भरोसा है कि विलय की प्रक्रिया तय तिथि मार्च 2021 के पहले ही दिसंबर 2020 तक पूरी कर ली जाएगी। बैंक के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा ने अभिजित लेले से बातचीत में कहा कि कॉर्पोरेट कर्ज के पुनर्गठन में बैंक को ज्यादा चुनौतियां नहीं हैं और सड़क क्षेत्र की कुछ फर्मों को पुनर्गठन में मदद की जरूरत होगी। प्रमुख अंश…
धीरे धीरे लॉकडाउन से बाहरर निकलने व सामान्य स्थिति बहाल होने का आपके लिए क्या अर्थ है? क्या हम सामान्य कामकाज देख सकेंगे?
यह अब बहुत साफ है कि स्थिति सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा। आंशिक स्तर पर स्थिति सामान्य होगी और उसके बाद भरपाई में लंबा वक्त लगेगा। हमारे लिए बैंकों में ज्यादातर कामकाज सामान्य हो जाएगा। जिन 8 शहरों में असर ज्यादा है, उन्हें छोड़कर सभी हर रोज कार्यालय आ रहे हैं। उन 8 शहरों में भी जिन्हें आने जाने की सुविधा मुहैया कराई गई है, रोज ऑफिस आ रहे है।
बैंक का कामकाज व्यापक आर्थिक माहौल पर निर्भर होता है, ऐसे मेंजब तक ग्राहकों के लिए स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, बैंकों के लिए स्थिति सामान्य नहीं होगी। कुछ क्षेत्रों में सुधार है, जबकि कुछ क्षेत्रों में सुधार में वक्त लगेगा।
कर्ज के पुनर्गठन की बात करें तो तीन श्रेणी है, कॉर्पोरेट, एमएसएमई और खुदरा। बैंकों को कॉर्पोरेट और एमएसएमई के बारे में अनुभव है, लेकिन आप खुदरा क्षेत्र के साथ किस तरह काम करने जा रहे हैं, जहां पहली बार यह व्यवस्था लागू की गई है?
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। खुदरा क्षेत्र के हिसाब से हाथी वाली कहावत सही है। अभी यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि खुदरा कर्ज का पुनर्गठन कैसे होगा। हम समय के साथ इसे जान सकेंगे। खुदरा कर्ज में हम व्यक्तिगत ऋण, कार ऋण, आवास ऋण आदि की बात कर रहे हैं, जो हमारे कुल कर्ज का 20 प्रतिशत है। ऐसे में अनिश्चितता वाला हिस्सा बहुत छोटा है।
हमारे यहां आवास ऋण में करीब 70 प्रतिशत खुदरा ऋण है। साथ ही बैंक आफ बड़ौदा बाजार के बेहतरीन अंश के हिसाब से सचेत है। हमने स्कोर के मामले में मानक सख्त किए हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में स्थिरता है और बहुत कम लोग पुनर्गठन के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं।
एमएसएमई कर्ज के पुनर्गठन को लेकर क्या अनुमान है?
पुनर्गठन मौजूदा छूट का विस्तार है। हमें दो लाभ हैं- पहला, मौजूदा पुनर्गठन योजना (एमएसएमई के लिए) की कट ऑफ तिथि में बदलाव हो रहा है और दूसरा, एमएसएमई ग्राहकों के लिए अस्थायी सीमा लागू है। इसकी वजह से बैंक अपने करीब सभी ग्राहकों तक पहुंच सकता है और उचित तरीके से उनकी जरूरतों का आकलन कर सकता है। इसके लिए संचार चैनल विकसित किया गया है।
अगर कॉर्पोरेट की बात करें तो आपके पोर्टफोलियो में किस सेक्टर में ज्यादा पुनर्गठन की जरूरत होगी?
अगर आप हमारे पोर्टफोलियो को देखें तो निश्चित रूप से एयरलाइंस ऊपर है। आतिथ्य क्षेत्र में कम कर्ज दिया गया है, जबकि वह ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में एक है। सड़क परियोजनाओं में हमने बड़े पैमाने पर कर्ज दिए हैं और यातायात प्रभावित हुआ है। बड़े कॉर्पोरेट कर्ज में सड़क क्षेत्र को संभवत: सहयोग की जरूरत पड़ सकती है। सड़क क्षेत्र पर असर बहुत ज्यादा है। किसी विशेष मामले में पुनर्गठन में हमें ज्यादा चुनौतियां नजर नहीं आतीं और वैसा ही होता है, जैसा उम्मीद की जाती है। हमने पिछले कुछ साल में कॉर्पोरेट क्षेत्र में दबाव वाला वक्त देखा है।
कर्जदाताओं की अपनी भूमिका है, आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि इकाइयों पर नियंत्रण रखने वाले मालिक किस तरह स्थिति बदलेंगे?
यह सामान्य रूप से जोश का मामला है। हम वह सब करेंगे, जिसकी उम्मीद हमसे कानूनी तरीके से की जाती है। प्रमोटरों को भी ऐसा करने की जरूरत है।
परिचालन के मामले में सितंबर से आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?
पुनर्गठन का काम अगले साल जून तक चलेगा। यह बहुत अहम है क्योंकि आपको ग्राहकों व बैंक के हिसाब से बेहतर करना है। इसका मतलब है कि संतुलन बनाकर चलना होगा।
बैंक दो चुनौतियों पर काम कर रहा है। एक कोविड संकट है और दूसरा एकीकरण (विजया और देना बैंक का बीओबी के साथ)। अब एकीकरण की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। हमें इस वित्त वर्ष मेें विलय का काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया था। हमें भरोसा है कि कोविड के बावजूद इस कैलेंडर वर्ष में हम काम पूरा कर लेंगे। हम कोविड और विलय के बाद की स्थिति के लिए तैयार हैं।