बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के ऊपर बिजली उत्पादन कंपनियों का बकाया फिर से बढऩे लगा है। मगर इसका खमियाजा अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को भुगतना पड़ रहा है। डिस्कॉम को बकाया चुकाने में मदद के लिए पिछले साल प्रोत्साहन घोषित किया गया था मगर अक्षय ऊर्जा उत्पादकों को सबसे कम फायदा हुआ है। अक्षय ऊर्जा उत्पादक कई राज्यों से बकाया वसूलने के लिए कानूनी लड़ाई कररहे हैं और कुछ मामलों में बिजली की कीमत पर नए सिरे से मोलभाव चल रहा है।
जनवरी से अक्षय ऊर्जा उत्पादकों का बकाया 40 फीसदी तक बढ़ चुका है और ऊर्जा उत्पादक कंपनियों में सबसे अधिक बकाया इन्हीं का बढ़ा है। इसी दौरान केंद्र सरकार की बिजली उत्पादक कंपनियों का बकाया 50 फीसदी तक कम हो गया और निजी ताप बिजली कंपनियों का बकाया 34 फीसदी बढ़ गया।
15 दिसंबर तक डिस्कॉम पर उत्पादन कंपनियों का कुल बकाया 1.33 लाख करोड़ रुपये (विवादित राशि समेत) था। इसमें सबसे ज्यादा 75,076 करोड़ रुपये का बकाया निजी ताप बिजली उत्पादकों का था। इसके बाद 32,000 करोड़ रुपये का बकाया केंद्र की बिजली उत्पादक कंपनियों का था। भुगतान में सबसे अधिक चूक भी सबसे ज्यादा बिजली खपत वाले राज्यों ने ही की है। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
हालांकि अक्षय ऊर्जा कंपनियों के लिए बकाये की विवादित राशि प्राप्ति पोर्टल (जो डिस्कॉम के भुगतान पर नजर रखता है) पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनका वास्तविक बकाया अब भी 20,786 करोड़ रुपये है, जो बहुत ज्यादा है। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि कई राज्यों – मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बकाया न चुकाने या देर से चुकाने पर मुकदमे चल रहे हैं।
लिंक लीगल के एसोसिएट पार्टनर आदित्य के सिंह ने कहा कि बकाया इक_ा होने की एक बड़ी वजह बिजली आयोगों के अस्पष्ट आदेश हैं। सिंह ने कहा कि कुछ राज्य बिजली नियामक आयोगों के आदेश पढऩे पर पता चलेगा कि भुगातन पर स्पष्ट निर्देश ही नहीं है और भुगतान के लिए समय सीमा भी नहीं बताई गई है। कुछेक को छोड़कर कोई भी आयोग गंभीरता से यह देखता ही नहीं कि उसके आदेश का पालन हुआ है अथवा नहीं।
सिंह ने कहा कि कुछ मामलों में राज्य आयोगों ने भुगतान में चूक होने पर परियोजना विकसित करने वाली कंपनी से बिजली खरीद समझौते ही रद्द करने को कह दिया, जिससे मामला और बिगड़ गया। उद्योग के एक अधिकारी ने बताया कि डिस्कॉम की खस्ता माली हालत उन्हें अक्षय परियोजनाओं से और बिजली खरीद समझौते करने से रोक रही है तथा भुगतान पर भी इसका असर पड़ रहा है।
