बीपीओ कंपनियों का बढ़ माने जाने वाले बेंगलुरु के लिए खतरे के संकेत दिखाई देने शुरू हो गए हैं। इस उद्योग से जुड़े अन्य उद्योग मानव संसाधन और रियल एस्टेट विशेषज्ञों के अनुसार अभी यह खतरा शहर से दूर है।
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म से जुड़े एक सूत्र का कहना है, ‘जनवरी 2008 से अभी तक मुट्ठीभर बीपीओ कंपनियों ने ही बेंगलुरु में अपना डेरा जमाया है, जबकि 2007 के हर महीने में औसतन दो से तीन कंपनियां हर महीने बेंगलुरु में अपना काम शुरू कर रही थीं।’
बेंगलुरु की एक बीपीओ फर्म 247 कस्टमर के संस्थापक और मुख्य पीपल ऑफिसर एस नागराजन का कहना है, ‘हाल में हमने बहुत सारी कंपनियों का नाम नहीं सुना जो बेंगलुरु आ रही हैं, जबकि हमने कई बीपीओ कंपनियों को चेन्नई, नोएडा, कोलकाता और कोच्ची में काम शुरू करते हुए देखा है। मुझे लगता है कि कर्नाटक बीपीओ कंपनियों के गढ़ की अपनी विशेषता को खो रहा है।’ गौरतलब है कि 247 कस्टमर बेंगलुरु की एक कंपनी है, जिसके देशभर में लगभग 7 हजार कर्मचारी हैं।
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु में अप्रैल-जून वाली तिमाही में बीपीओ किराये पर लेने की संख्या में लगभग 30 प्रतिशत तक कम हुई है, लेकिन मौजूदा तिमाही में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है। बेंगलुरु में केन्द्र बनाने वाली अमेरिका या यूरोप से आने वाली नई कंपनियों की संख्या में गिरावट की वजह शहर में परिचालन की लागत में इजाफा होना, पैत्तृक देशों में आर्थिक संकंट और 2008 की शुरुआत में अमेरिका में चुनावों का होना है।
फिलहाल पुणे, चेन्नई, हैदराबाद और गुड़गांव में मौजूदा कंपनियां हैं, जिनका बेंगलुरु में अभी तक केन्द्र नहीं था, वे ही यहां अपना काम शुरू कर रही हैं। वैश्विक मानव संसाधन सॉल्यूशन मुहैया कराने वाली प्रमुख कंपनी ऐडेक्को अभी आर्थिक मंदी से होने वाले प्रभावों का इंतजार कर रही है। ऐडेक्को के प्रबंध निदेशक (भारत और पश्चिम एशियाई देश) सुधाकर बालकृष्णन का कहना है, ‘अमेरिका में चल रही आर्थिक मंदी का असल प्रभाव तो इस साल के अंत तक ही देखने को मिलेगा।’
प्रतिभा परखने वाली कंपनी मेरिट ट्रैक के सह संस्थापक और निदेशक मदन पदकी का कहना है, ‘आज शुरुआती स्तर पर नियुक्तियां कॉलेज कैम्पस से हो रही हैं। लेकिन चिंता की बात तो यह है कि अधिकतर नियुक्तियां पहले से खाली पड़ी जगहों और परियोजनाओं के मद्देनजर हो रही हैं। आज बड़ी तादाद में नियुक्तियां नहीं हो रही हैं।’ मानव संसाधन पेशेवर रमेश हांडे का कहना है कि आज नियुक्तियां खाली हो रही जगहों की वजह से हैं, न कि कारोबार में हो रही वृध्दि की वजह से। ‘पिछले 6=8 महीनों में सिर्फ खाली हो रही जगहों की संख्या में वृध्दि हो रही है।’
वित्त वर्ष 2006 में 100 प्रतिशत विकास देखा गया, जिसकी बड़ी वजह आईबीएम और एस्सेंचर के बड़े-बड़े परिचालन कार्य और फिडेलिटी, इंफोसिस बीपीओ, आइडिया, 247 कस्टमर और रॉयटर्स की क्षमता विस्तार योजनाएं थीं। व्हाइटफील्ड जिसकी वैश्विक कंपनियां हैं, दफ्तरों के लिए जगह के बाजार में पिछले तीन वर्षों में गिरावट देखी है। क्योंकि इस बाजार में काफी गिरावट आई है, यह मौजूदा कंपनियों को इस क्षेत्र में कारोबार में विस्तार करने के अवसर देती ही है, क्योंकि दफ्तरों के किराये काफी कम थे, जिससे कंपनियां कम समय में जरूरत के हिसाब से जमीन ले सकती हैं।
कर्नाटक में नई बीपीओ निवेश को आकर्षित करने में असफलता के लिए उद्योग बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की कमी को प्रमुख कारण मानता है। नागराजन चेन्नई का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि तमिलनाडु सरकार ने लंबे समय के लिए उद्योग को मद्देनजर रखते हुए शहर में बुनियादी ढांचागत निर्माण की योजना बनाई है। सभी विनिर्माण उद्योग श्रीपेरंबुदूर-कांचीपुरम क्षेत्र की ओर बढ़ रही हैं, जबकि सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां ओल्ड महाबलिपुरम रोड पर ध्यान दे रही हैं, जिसे ‘आईटी कॉरिडोर’ भी कहा जाता है। 6 लेन वाली ओल्ड महाबलिपुरम रोड को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ट्रैफिक आसानी से बढ़ता रहे।
लेकिन इनमें बदलाव लाया जा सकता है। होसूर रोड जो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की सबसे पसंदीदा जगह है, इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी और कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोड औद्योगिक लेआउट के रूप में बाजार में सड़कों की बद्तर हालत की वजह से गिरावट देख रहे हैं। अब इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी तक बनने वाले एलिवेट हाईवे के कारण वहां मौजूद हर बड़ी कंपनी अतिरिक्त जगह के लिए पूछ-ताछ कर रही है।
नैसकॉम की ताजा ए टी कीर्नी रिपोर्ट जिसमें 50 प्रमुख शहरों की पहचान की गई जहां आईटी-बीपीओ उद्योग के बढ़ने की संभावना है के बारे में नैसकॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल का कहना हे, ‘बीपीओ क्षेत्र के लिए जगह में आकर्षण के मामले में बेंगलुरु विस्तर के साथ बढ़ रहा है और देश के बीपीओ केन्द्र की यहां घटनाओं की दर 30 प्रतिशत रहेगी। लेकिन परिचालन लागत के मामले में इसमें आकर्षण नहीं रहा।’
बेंगलुरु में बीपीओ कंपनियों का हाल
वर्ष बेंगलुरु बीपीओ संख्या साल विकास(%)
2005-06 40,000-45,000 45
2006-07 80,000-90,000 112.5
2007-08 1,00,000-1,20,000 30
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