पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय देश में हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति तैयार कर रहा है। इसके तहत वह ऑयल इंडिया और ओएनजीसी के पुराने तेल ब्लॉकों से उत्पादन बढ़ाने वाले अनुबंध (पीईसी) के लिए बोली जल्द आमंत्रित करने की तैयारी में है।
मंत्रालय उत्पादकों को रियायत देने और समय-सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। साथ ही तेल पर उपकर घटाने के लिए वित्त मंत्रालय से बातचीत कर रहा है। पीईसी की बोली प्रक्रिया उसी तरह की होगी जिसके तहत पिछले साल ओएनजीसी ने 29 हाइड्रोकार्बन ब्लॉक के लिए बोली लगाई थी।
इस मामले के करीबी एक अधिकारी ने कहा, ‘कोविड संकट से निपटने में कंपनियों की मदद करने के लिए हम समय-सीमा बढ़ाने, रियायतें देने और उत्पादकों के लिए तेल उपकर को घटाने के विकल्प तलाश रहे हैं।’ कोविड के प्रकोप के बाद विभिन्न उद्योग संगठनों और कंपनियों ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से संपर्क कर रॉयल्टी, उपकर एवं पेट्रोलियम पर मुनाफा भुगतान में कमी करने अथवा उसे माफ करने की मांग की थी।
इसके अलावा कंपनियों ने गैस की कीमतें बढ़ाने की भी मांग की है। वित्त मंत्रालय को लिखे एक पत्र में एसोसिएशन ऑफ ऑयल ऐंड गैस (एओजीओ) ने कहा था कि सरकारी कर अधिक होने के कारण तेल एवं गैस का परिचालन अब व्यावहारिक नहीं रह गया है। इसी प्रकार तेल एवं गैस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार पुराने तेल क्षेत्रों के लिए नए सिरे से पीईसी निविदा जारी करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘हमने पीईसी के लिए एक नीति पहले ही तैयार किया है। पिछले साल हुई ओएनजीसी की बोली की तर्ज पर हमजल्द ही पीईसी के तह क्षेत्रों के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं।’
उद्योग के एक सूत्र ने बताया कि इन क्षेत्रों में सरकारी कंपनियों के पुराने क्षेत्र शामिल हो सकते हैं जैसे असम के गेलेकी और कैम्बे बेसिन के अहमदाबाद-मेहसाणा ब्लॉक का कलोल क्षेत्र आदि। अभी यह तय नहीं किया गया है कि क्या ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को भी बोली आमंत्रित करने की अनुमति होगी अथवा सरकार केवल इस प्रक्रिया के लिए सुविधा उपलब्ध कराएगी।
ओएनजीसी ने इस साल के आरंभ में दूरदराज के 49 तेल एवं गैस ब्लॉक सात बोलीदाताओं को आवंटित किया था। ये क्षेत्र गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और असम में हैं जो 13 भूमि अनुबंध क्षेत्रों में विस्तृत हैं। उसमें दुगांता ऑयल ऐंड गैस, ऑयलमैक्स, दीप इंडस्ट्रीज, द्रविड़ पेट्रोलियम, हर्मेस टेक, शिवम क्रशर, एलएनर्जी भारत, उदयन ऑयल सॉल्यूशंस, प्रिजर्व इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिंडिकेट, एमऐंडएस कंपनी, एडवेंट ऑयलफील्ड और उड़ीसा स्टीवडोर्स जैसी कम चर्चित कंपनियों ने भाग लिया था।
