स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अपोलो हॉस्पिटल्स ने 40 साल पूरे कर लिए हैं और यह अंतरराष्ट्रीय मरीजों को भारत लाने के मामले में मशहूर है। अपोलो हॉस्पिटल्स की प्रबंध निदेशक सुनीता रेड्डी ने शाइन जैकब के साथ अस्पताल श्रृंखला के सफर, साल 2028 के लिए निर्धारित लक्ष्यों और चिकित्सा पर्यटन के बारे में बात की। प्रमुख अंश …
अस्पताल खंड का मामला एकदम साफ है। हम अगले तीन साल में करीब 2,000 बेड शामिल कर रहे हैं। हम साल 2028 तक हर साल 700 बिस्तर शामिल करेंगे। इसलिए अस्पताल खंड से जबरदस्त वृद्धि होने वाली है।
एएचएलएल (अपोलो हेल्थ ऐंड लाइफस्टाइल लिमिटेड) का ध्यान डायग्नोस्टिक्स और 1,500 करोड़ रुपये के राजस्व (सालाना), दक्षिण (भारत) में पहले स्थान पर आना और फिर उत्तर और अन्य हिस्सों में भी अग्रणी बनना है। हम स्पेशिल्टी डायग्नोसटिक्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
मुझे लगता है कि अपोलो 24/7 के लिए यह निश्चित रूप से हर पहलू में अव्वल बनने का बड़ा अवसर है क्योंकि उनके पास पहले से ही ओम्नी चैनल है। इसलिए डिजिटल रूप से अधिकाधिक उपभोक्ता हासिल करने में उन्हें कोई बाधा नहीं है। फिलहाल उनके पास करीब 2.9 करोड़ उपभोक्ता हैं और वे निश्चित रूप से पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहे हैं।
फिलहाल हमारी अगले तीन साल में 3,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है। यह आराम से हो जाएगा और मुझे लगता है कि आगे चलकर हमारा रुख और स्पष्ट होगा, मुक्त नकदी प्रवाह पैदा करेंगे, जो वास्तव में हमें विकास में सक्षम बनाएगा। हमने पुणे में एक (अधिग्रहण) किया है। हमने कोलकाता, पुणे और गुवाहाटी में अधिग्रहण किया था।
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चिकित्सा पर्यटन की बात करें तो हम वास्तव में कोविड से पहले वाले दिनों में लौट आए हैं। कनेक्टिविटी वाले हमारे कुछ अस्पतालों का 15 प्रतिशत राजस्व चिकित्सा पर्यटन से आ रहा है। लेकिन मुझे लगता है कि सबसे अहम बात यह है कि चिकित्सा पर्यटन क्यों है।
यह इसलिए है कि हमारी चिकित्सा लागत अमेरिका की लागत का 10वां हिस्सा है। मुझे लगता है कि न केवल अपोलो को, बल्कि पूरे भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को लाभ हुआ है। सरकार ने भी विदेशी मुद्रा अर्जित की है। थाईलैंड अच्छा काम कर रहा है। सिंगापुर और थाईलैंड मॉडल जैसा स्थान पाना अहम है। अतुल्य भारत की तरह हमको हील इन इंडिया को बढ़ावा देना चाहिए।
अपोलो से पहले 80 प्रतिशत ऐसे मरीज, जो इलाज के लिए विदेश जाते थे, अब उनमें से अधिकांश भारत में ही इलाज कराते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि अब 147 देशों से मरीज इलाज के लिए भारत आते हैं। यह वास्तव में अपोलो का भारतीय स्वास्थ्य सेवा पर असर है। अब स्वास्थ्य देखभाल की पूरी प्रणाली बदल गई है। अपोलो ने मानक स्तर बढ़ाया है।