आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने 2021 में विवादास्पद अदाणी ग्रीन सौर ऊर्जा परियोजना के लिए नियामकीय मंजूरी मांगी थी। मंजूरी इसलिए मांगी गई थी कि उस परियोजना से खरीदी जाने वाली सस्ती बिजली में से 7 गीगावॉट बिजली ग्रामीण इलाकों और कृषि क्षेत्र को मुफ्त दी जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा 2021 से 2024 के बीच आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (एपीईआरसी) और केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) को दी गई जानकारियों से बिजली बिक्री-खरीद समझौते की शर्तों का पता चलता है। उन शर्तों में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को उस परियोजना से 9 घंटे मुफ्त बिजली मिलेगी। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी उन प्रस्तुतियों और नियामकीय आदेशों को देखा है।
अदाणी ग्रीन और एज्योर पावर के साथ आंध्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित बिजली बिक्री समझौते में कहा गया है, ‘इस त्रिपक्षीय बिजली बिक्री समझौते के तहत सौर ऊर्जा खरीदने का प्राथमिक उद्देश्य आंध्र प्रदेश सरकार की जून 2020 की नीति के तहत किसानों को दिन में 9 घंटे मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। साथ ही भारत सरकार द्वारा निर्धारित 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को साकार करने में योगदान देना है।’
यह त्रिपक्षीय बिजली बिक्री समझौता आंध्र प्रदेश सरकार, अदाणी ग्रीन और सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) के बीच है। सौर विनिर्माण से जुड़ी यह बिजली परियोजना एसईसीआई द्वारा 2019 में अदाणी ग्रीन और एज्योर पावर को दी गई थी। यही परियोजना अदाणी समूह की इन दो कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी द्वारा शुरू की गई कथित रिश्वत एवं धोखाधड़ी की जांच का आधार है। एसईसी के आरोप के अनुसार, अदाणी ग्रीन और एज्योर पावर के अधिकारियों ने राज्य सरकार के अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश की थी। आरोप में आंध्र प्रदेश को रिश्वत के मुख्य लाभार्थी के रूप में उल्लेख किया गया है।
साल 2021 से 2024 के बीच एपीईआरसी और सीईआरसी में सुनवाई के दौरान इस परियोजना को कई कानूनी मामलों से जूझना पड़ा है। राज्य के मौजूदा वित्त मंत्री पी केशव 2021 में विपक्ष में थे। उन्होंने विद्युत अधिनियम, 2003 के नियमों के उल्लंघन और लागत के आधार पर परियोजना का विरोध किया था। इस मामले में उनकी एक जनहित याचिका अब तक लंबित है।
सीईआरसी ने 2022 में आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों द्वारा 8.9 गीगावॉट बिजली खरीदे जाने के लिए सेकी द्वारा जमा कराए गए बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) को मंजूरी दी थी। इसमें से 7 गीगावॉट बिजली आंध्र प्रदेश द्वारा खरीदे जाने की बात कही गई थी। कुल 12 गीगावॉट में से शेष 3.1 गीगावॉट के लिए कोई खरीदार न मिलने के कारण सेकी ने दरों को मंजूरी नहीं दी थी।
राज्य सरकार इस परियोजना से सीधे ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति करने में समर्थ नहीं थी। इसलिए उसने अपनी लागत पर एपी रूरल एग्रीकल्चर पावर सप्लाई कंपनी से संपर्क किया और कहा कि वह ग्रामीण इलाकों में मुफ्त बिजली की आपूर्ति करेगी।