facebookmetapixel
MSME को बड़ी राहत: RBI ने सस्ते कर्ज के लिए बदले नियम, ब्याज अब हर 3 महीने पर रीसेट होगानील मोहन से बिल गेट्स तक, टेक दुनिया के बॉस भी नहीं चाहते अपने बच्चे डिजिटल जाल में फंसेगोवा नाइटक्लब हादसे के बाद EPFO की लापरवाही उजागर, कर्मचारियों का PF क्लेम मुश्किल मेंSwiggy ने QIP के जरिए जुटाए ₹10,000 करोड़, ग्लोबल और घरेलू निवेशकों का मिला जबरदस्त रिस्पांससिडनी के बॉन्डी बीच पर यहूदी समारोह के पास गोलीबारी, कम से कम 10 लोगों की मौतऑटो इंडस्ट्री का नया फॉर्मूला: नई कारें कम, फेसलिफ्ट ज्यादा; 2026 में बदलेगा भारत का व्हीकल मार्केटDelhi Pollution: दिल्ली-NCR में खतरनाक प्रदूषण, CAQM ने आउटडोर खेलों पर लगाया रोकशेयर बाजार में इस हफ्ते क्यों मचेगी उथल-पुथल? WPI, विदेशी निवेशक और ग्लोबल संकेत तय करेंगे चालFPI की निकासी जारी, दिसंबर के 12 दिनों में ही ₹18 हजार करोड़ उड़ गएसस्ता टिकट या बड़ा धोखा? हर्ष गोयनका की कहानी ने खोल दी एयरलाइंस की पोल

लिखित अनुरोध दायर नहीं कर पाएगी एमेजॉन

Last Updated- December 11, 2022 | 9:22 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस रिटेल के साथ विलय की मंजूरी के लिए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान एमेजॉन को लिखित अनुरोध दाखिल करने की मंजूरी देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाले पीठ ने इस मामले में लिखित निवेदन दाखिल करने के एमेजॉन के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। देरी से यह अनुरोध किए
जाने से नाखुश पीठ ने कहा कि यह एक आरामदायक मुकदमा नजर आता है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, आप मामले को जटिल बनाना चाहते हैं। आप इसे खींचना चाहते हैं ताकि सुनवाई चलती रहे। अगर मैं आपके अनुरोध को स्वीकार कर लेता हूं तो फिर मुझे दूसरे पक्ष को भी मंजूरी देनी होगी। अगर आप पिछली तारीख पर ही इसकी मांग करते तो वह अलग बात होती। मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाले पीठ ने गत तीन फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखने की बात कही थी। पीठ ने एमेजॉन की तरफ से रखी गई दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मौखिक वक्तव्यों को अब लिखित में दिए जाने की भी दलील रखी जा रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ऐसा लगता है कि आपकी नजर में हमारे भीतर मौखिक वक्तव्यों को समझने की क्षमता नहीं है। फैसला सुरक्षित रखे जाने के पांच दिन बाद आप फिर से शुरू करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि इस मामले को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध न किया जाए। इस याचिका में एफआरएल ने रिलायंस रिटेल के साथ विलय की योजना पर आगे बढऩे की मंजूरी मांगी है। रिलायंस रिटेल ने 24,731 करोड़ रुपये में एफआरएल के अधिग्रहण का करार किया है लेकिन एमेजॉन इस सौदे को अपने निवेश समझौते का उल्लंघन बता रही है।
इस बीच एफआरएल को कर्ज देने वाले 27 बैंकों के गठजोड़ ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कंपनी को दिया गया कर्ज असल में जमाकर्ताओं का पैसा है लिहाजा जनहित को ध्यान में रखते हुए एफआरएल की सभी परिसंपत्तियों की एमेजॉन और रिलायंस द्वारा खुली बोली लगाई जानी चाहिए। गठजोड़ ने इसके लिए 17,000 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य तय करने का सुझाव दिया है।

First Published - February 8, 2022 | 11:26 PM IST

संबंधित पोस्ट