अदाणी समूह ने अपने बंदरगाह कार्गो की क्षमता 2030 तक चार गुना बढ़ाकर 1 अरब टीयू करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। समूह की योजना दुनिया की सबसे बड़ी बंदरगाह कंपनी बनने की है।
अदाणी समूह के उत्तराधिकारी और अदाणी पोर्ट्स ऐंड सेज के मुख्य कार्याधिकारी करण अदाणी ने आज कहा कि अगर अच्छा स्थानीय साझेदार मिले और देश राजनीतिक एवं आर्थिक तौर पर स्थिर हो तो समूह किसी भी देश में बंदरगाह क्षेत्र में अधिग्रहण की संभावना तलाश सकता है।
अदाणी समूह ने इस साल की शुरुआत में इजरायल में हाइफा पोर्ट का 1.2 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया है और अब पूर्वी अफ्रीका (केन्या एवं तंजानिया), वियतनाम तथा भूमध्यसागर इलाके में वह बंदरगाह का अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रहा है।
अदाणी ने कहा, ‘विदेशी बंदरगाहों के भारत के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध होने चाहिए और निवेश के लिहाज से उसकी घरेलू अर्थव्यवस्था भी मजबूत होनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि दुनिया में कई बंदरगाहों का परिचालन सरकारों द्वारा किया जाता है और वे इसका निजीकरण करने की संभावनाएं टटोल रही हैं। हमारी नजर ऐसे ही बंदरगाहों पर है।
अदाणी ने कहा कि हाइफा पोर्ट के परिचालन पर अभी तक हमास और इजरायल युद्ध का कोई असर नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हम हाइफा में अपने निवेश को लेकर आश्वस्त हैं। जब हमने हाइफा पोर्ट की जांच-परख की थी तो अनुमान लगाया गया था कि कुछ अड़चनें आएंगी।
इस समय बंदरगाह का संचालन हो रहा है और आगे भी किसी तरह की समस्या की आशंका नहीं है।’ वर्तमान में अदाणी पोर्ट्स के कुल वॉल्यूम में हाइफा पोर्ट की हिस्सेदारी महज 3 फीसदी है। अदाणी ने कहा, ‘जब हम किसी देश में कारोबार के लिए जाते हैं तो कई चीजों को देखा जाता है लेकिन राजनीतिक स्थिरता सबसे महत्त्चपूर्ण है।’
अदाणी ने कहा कि कंपनी अपने क्षमता विस्तार पर हर साल 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि कंपनी हर साल 7,000 से 8,000 करोड़ रुपये की नकदी कमा रही है जिसका उपयोग विस्तार के लिए किया जाएगा। अदाणी ने कहा कि समूह ने विझिंजम में ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल की शुरुआत की है।
कंपनी अपने 65 करोड़ डॉलर के सभी विदेशी मुद्रा बॉन्ड की अगले साल जनवरी तक पुनर्खरीद कर लेगी। विझिंजम परियोजना के पहले चरण की अनुमानित लगात करीब 7,700 करोड़ रुपये है। इस बंदरगाह को लेकर कई शिंपिंग कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। अदाणी ने कहा, ‘विझिंजम और कोलंबो में हमारी मौजूदगी से हम शिंपिंग लाइन को भारत में अपने सभी बंदरगाहों को जोड़ने की सुविधा प्रदान करने में सक्षम होंगे।’