इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने को बढ़ावा देने और देश भर में चार्जिंग बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की दिशा में केंद्र सरकार ने ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाने और उसके संचालन के दिशानिर्देश में बदलाव कर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार की कवायद हाल ही में पेश की गई 10,900 करोड़ रुपये की पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हासमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के बाद की गई है, जिसमें पूरे देश में चार्जिंग बुनियादी ढांचा बनाने पर ध्यान दिया गया है।
इस योजना में इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (ईवीपीसीएस) की स्थापना को बढ़ावा देकर ईवी खरीदारों की चिंता को भी दूर करने का प्रयास किया गया है। ये ईवीपीसीएस वैसे शहरों और राजमार्गों पर लगाए जाएंगे जहां बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन हैं। कुल मिलाकर 74,300 चार्जर लगाए जाएंगे, जिसमें इलेक्ट्रिक कारों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1,800 फास्ट चार्जर और इलेक्ट्रिक दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों की चार्जिंग के लिए 48,400 फास्टर चार्जर शामिल हैं। ईवीपीसीएस पर अनुमानित 2 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।
विद्युत मंत्रालय द्वारा 18 सितंबर को जारी किए गए दिशानिर्देशों का मकसद सरकार और निजी कंपनियों के बीच एक नए राजस्व साझाकरण मॉडल के जरिये सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने का है।
यह दिशानिर्देश ईवी चार्जिंग वाली जगहों की एक विस्तृत श्रृंखला लागू करने के लिए भी तय की गई है। इनमें निजी पार्किंग स्थल और कार्यालय भवन, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और ग्रुप आवासीय सोसायटी जैसे अर्ध प्रतिबंधित क्षेत्र शामिल हैं। सार्वजनिक स्थानों में वाणिज्यिक परिसर, रेलवे स्टेशन, पेट्रोल पंप, हवाई अड्डा, मेट्रो स्टेशन, शॉपिंग मॉल, नगरपालिका की पार्किंग, हाईवे, एक्सप्रेस वे जैसे स्थल शामिल किए गए हैं।
विद्युत मंत्रालय ने पहली बार साल 2018 में 14 दिसंबर को ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे के मानक जारी किए थे। तब से अब तक ईवी क्षेत्र की तेजी से बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए उनमें पांच बार बदलाव किया जा चुका है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में संशोधन किया गया था, जिसमें सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों पर चार्ज प्वाइंट ऑपरेटरों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क पर अधिकतम सीमा लागू की गई थी।
हालिया संशोधन में कई प्रमुख उद्देश्यों पर ध्यान दिया गया है, जिसमें चार्जिंग स्टेशन को सुरक्षित, भरोसेमंद और आसानी से पहुंच होने के कारण ईवी अपनाने को बढ़ाने और मजबूत राष्ट्रीय चार्जिंग नेटवर्क तैयार करना शामिल है। इसमें शुरू में प्रमुख स्थानों को प्राथमिकता दी गई है। सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए दिशानिर्देश में यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि सरकार अथवा सार्वजनिक संस्थाएं निजी ऑपरेटरों को रियायती दरों पर जमीन दें।
इसके बदले में, जमीन के स्वामित्व वाली एजेंसी को 10 साल तक चार्जिंग स्टेशन पर खपत की गई बिजली के आधार पर राजस्व का एक हिस्सा मिलेगा। ईवी चार्जिंग को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए खासकर दिन के वक्त चार्जिंग स्टेशनों पर बिजली की कीमत मार्च 2028 तक आपूर्ति की औसत लागत से अधिक नहीं होगी।
सुबह नौ से अपराह्न चार बजे तक (सौर घंटे) दरें कम रहेंगी ताकि ईवी चार्जिंग के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके। दिशानिर्देश में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन का न्यूनतम घनत्व भी तय किया गया है। साल 2030 तक शहरी इलाकों के 1 ग्रिड के 1 किलोमीटर के दायरे में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन होना जरूरी है।
राजमार्गों के किनारे हर 20 किलोमीटर पर सामान्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए और 100 किलोमीटर पर बस-ट्रक जैसे भारी वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन रहना अनिवार्य किया गया है। ग्राहकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए बड़े चार्जिंग स्टेशनों पर शौचालय, पेयजल और निगरानी आदि जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।
चार्ज प्वाइंट ऑपरेटर विद्युत (उपभोक्ता के अधिकार) अधिनियम, 2020 में तय की गई समयसीमा के तहत कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकते हैं।