ओपन एकरेज लाइसेंस नीति (ओएएलपी) के पांचवें दौर की 11 भौगोलिक क्षेत्रों की बोली में सरकारी कंपनी तेल और प्राकृतिक गैस लिमिटेड (ओएनजीसी) को 7 ब्लॉक और ऑयल इंडिया (ओआईएल) को शेष 4 ब्लॉक मिले हैं।
यह उम्मीद की जा रही है कि ओएएलपी के पांचवें दौर की बोली में 40 से 45 करोड़ डॉलर का तत्काल अन्वेषण काम होगा। ओएएलपी के पांचवें दौर के 11 ब्लॉक में से 8 अवसादी बेसिन हैं, जबकि 8 जमीन पर स्थित ब्लॉक (6 श्रेणी-1 के बेसिन और एक एक श्रेणी 2 और श्रेणी-3 बेसिन), दो छिछले पानी में स्थित ब्लॉक (एक श्रेणी-1 में और एक श्रेणी-2 में) और एक बहुत ज्यादा गहरे जल में स्थित ब्लॉक (श्रेणी-1 बेसिन) है। मौजूदा दौर के बाद निवेशकों के लिए 19,800 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र खुल गया है।
इस दौर की बोली में सिर्फ एक निजी बोलीकर्ता कंपनी इनवेनियहर एनर्जी रही। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘लेकिन सभी 11 ब्लॉक सरकार की कंपनियों को मिले हैं, जिनमें ओएनजीसी को 7 ब्लॉक मिले हैं।’ ओएनजीसी को बंगाल पूर्णिया, खंभात, गुजरात के कच्छ, गुजरात के सौराष्ट्र और मुंबई बेसिन के ब्लॉक मिले हैं। वहीं दूसरी तरफ ओआईएल को असम में दो ब्लॉक (असम शेल्फ और असम अरक्कन) और राजस्थान में ब्लॉक मिला है। यह इस साल दूसरे दौर की नीलामी है। जनवरी में सभी 7 ब्लॉकों की पेशकश चौथे दौर की ओएएलपी के दौरान की गई थी और सभी ओएनजीसी को आवंटित हुए।
इस दौर के बाद देश के कुल अन्वेषण क्षेत्र में 18,510 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल और जुड़ गया है। 7 ब्लॉकों में से 5 मध्य प्रदेश में थे, जबकि एक-एक ब्लॉक राजस्थान व पश्चिम बंगाल में थे। सात ब्लॉक 3 अवसादी बेसि न हैं, जिनमें संसाधनों की क्षमता करीब 33 अरब बैरल तेल और तेल के बराबर गैस की है।
ओएएलपी बोली के पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे दौर के तहत 1,36,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का आवंटन पहले ही हो चुका है। पहले चार दौर में करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का निवेश अगले 3-4 साल में होगा। छठे व सातवें दौर के लिए रुचि पत्र नवंबर के मध्य में आएगा।
हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन ऐंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी), जिसके तहत ओएएलपी ब्लॉकों का आवंटन होता है, राजस्व साझा कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर होता है। कारोबार सुगमता की ओर कदम उठाते हुए रॉयल्टी की दरें घटाने, तेल उपकर न लगाने, विपणन एवं मूल्य की स्वतंत्रता देने का प्रावधान है।
