मार्च के दूसरे पखवाड़े में हुई बेमौसम बारिश ने जनवरी से मार्च तिमाही में कंज्यूमर ड्यूरेबल (Consumer Durable) कंपनियों के प्रदर्शन पर असर डाला। इससे उनकी सप्लाई चेन में स्टॉक काफी बढ़ गया। हालांकि कंपनियों का कहना है कि तिमाही के दौरान औद्योगिक और बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) की मांग मजबूती रही।
हैवेल्स इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल राय गुप्ता ने निवेशकों को मार्च तिमाही में समाप्त तिमाही के नतीजों के बारे में बताया, ‘तिमाही के दौरान हमारे पास उपभोक्ता मांग कम थी, लेकिन अच्छी औद्योगिक मांग के कारण प्रदर्शन मध्यम दर्जे का रहा।’ उन्होंने कहा कि हमें लगता है गर्मी देरी से आएगी, इसलिए यह गर्मियों के उत्पादों की मांग को प्रभावित कर सकता है।
हैवेल्स इंडिया ने बी2बी खंड में स्थिर मांग देखी है। साथ ही कंपनी ने दूसरे हिस्से में बुनियादी ढांचे और आवास गतिविधियां बढ़ने के कारण इसमें सुधार भी देखी है।
हैवेल्स इंडिया की शुद्ध बिक्री जनवरी-मार्च तिमाही में 4,859.2 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9.8 फीसदी अधिक है।
जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों के बाद वोल्टास के कॉरपोरेट फाइनैंस के प्रमुख मनीष देसाई ने निवेशकों से कहा, ‘मार्च के दूसरे पखवारे में हुई बारिश के कारण तिमाही के दौरान वोल्टास का भी स्टॉक काफी बढ़ गया था।’
वोल्टास ने भी वाणिज्यिक रेफ्रिजरेशन श्रेणी में बेहतर व्यावसायिक मांग देखी। कंपनी की वाटर कूलर, वाटर डिस्पेंसर और वीसी कूलर की अधिक मांग देखी गई।
अनुबंध पर विनिर्माण करने वाली डिक्सन टेक्नोलॉजिज ने भी कहा कि पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान मांग सपाट रहने से मिलाजुला नुकसान हुआ है। लेकिन, कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मांग में तेजी आएगी क्योंकि त्योहारी सीजन से पहले ऑर्डर मिलने शुरू हो जाएंगे।
डिक्सन टेक्नोलॉजिज के प्रबंध निदेशक अतुल लाल ने निवेशकों से कहा, ‘मुझे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और लाइटिंग में मांग थोड़ी सपाट लगती है, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में इसमें कुछ सकारात्मक बदलाव आया है और चीजें ठीक हो रही हैं। इसके अलावा, अगली तिमाही से त्योहारी सीजन शुरू हो जाएंगे और हम इसी अनुरूप कारोबार करेंगे।’
जबकि, ब्लू स्टार ने वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान मजबूत मांग देखी। जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान इसकी शुद्ध बिक्री 16.4 फीसदी बढ़कर 2,623.8 करोड़ रुपये हो गई और इसका शुद्ध लाभ भी बढ़कर 225.3 करोड़ रुपये हो गया था।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी रिपोर्ट में व्हर्लपूल इंडिया के बारे में कहा है कि रेफ्रिजरेटर की कमजोर मांग और काफी अधिक प्रतिस्पर्धा के कारण इसके कारोबार में सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है।
ब्रोकरेज ने यह भी कहा कि कंपनी ने कमजोर मांग को दूर करने के लिए कीमतों में कटौती की, जिसके परिणामस्वरूप कमोडिटी लागत कम होने के बावजूद मार्जिन पर दबाव बना रहा।