सरकार ने अगले एक साल केलिए सभी खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। माना जा रहा है कि तेल की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने ये कदम उठाए हैं। विदेशी व्यापार महानिदेशालय की वेबसाइट पर जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि यह प्रतिबंध
सरकार के इस कदम का महंगाई नियंत्रण पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि खाद्य तेलों की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 2.76 फीसदी की हिस्सेदारी है। वैसे चावल 2.45 फीसदी और गेहूं 1.58 फीसदी का हिस्सा इस सूचकांक में रखता है। हालांकि केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन के अध्यक्ष दवीश जैन के अनुसार सरकार की इस पहल का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। ऐसा इसलिए कि खाद्य तेलों की कुल निर्यात में हिस्सेदारी बहुत ही कम है। उनके अनुसार, मूंगफली तेल के निर्यात पर प्रतिबंध का कोई मतलब नहीं है,क्योंकि यह एक प्रमुख तेल है। इसके बदले में उद्योग सोयाबीन और पाम तेल का आयात कर सकता है।
साल 2006-07 में 11,639 टन खाद्य तेल का निर्यात किया गया था। भारत मूंगफली, सरसों और नारियल तेल की छोटी मात्रा का ही निर्यात करता है। खण्डेलिया तेल के एमडी डीपी खण्डेलिया के अनुसार, इस प्रतिबंध का बाजार पर मनोवैज्ञानिक असर होगा। हालांकि मंगलवार को इसकी कीमतें गिरी हैं पर ऐसा इस अधिसूचना की वजह से नहीं हुआ है। यह तो अंतरराष्ट्रीय स्तर में हुए बदलाव से हुआ है। वहां कीमत में गिरावट हो रही है। भारत अपनी 45 फीसदी खाद्य तेलों की जरूरत आयात से ही पूरी करता है। इस साल तेल के उत्पादन में 7 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है।