आलू की बंपर फसल और कोल्ड स्टोरेज का अभाव ने गुजरात के किसानों को मुसीबत में डाल दिया है। और तो और बाजार में आलू के खरीदारी भी कम हैं। इस वजह से आलू की कीमतों में पिछले दिनों
किसानों को इन मुसीबतों से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने पहली बार आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। गुजरात सरकार ने आलू की गिरती कीमतों को थामने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) चार रुपये प्रति किलो घोषित किया है। राज्य में आलू का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र यानी उत्तरी गुजरात में किसान कोल्ड स्टोरेज के बाहर लाइन लगाकर खड़े हैं ताकि अपनी फसल को बचा सकें। ऐसे में किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए राज्य सरकार सामने आई है और आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4 रुपये घोषित कर दिया है।
पिछले एक पखवाड़े के दौरान ही आलू की कीमतों में
40-60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और फिलहाल आलू के भाव में प्रति 20 किलो बैग 40-50 रुपये की कमी आई है। एक पखवाड़े पहले आलू के 20 किलो का बैग 100 रुपये का बिकता था। इससे जुड़े व्यापारियों का कहना है कि आलू की बंपर फसल और कोल्ड स्टोरेज सुविधा में कमी के चलते आलू की कीमतें गिर रही हैं। फिलहाल किसान 1-2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से आलू बेच रहे हैं। इस बार आलू की फसल के लिए मौसम काफी अच्छा रहा और इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगी। इसका नतीजा ये हुआ कि आलू की बंपर पैदावार हुई।
गुजरात में इस साल आलू का अनुमानित उत्पादन 13.42 लाख टन का रहा जबकि पिछले साल 12 लाख टन की पैदावार हुई थी। इस तरह इस साल आलू की फसल पिछले साल के मुकाबले 20-25 फीसदी ज्यादा है। इस साल आलू की फसल क्षेत्र में 40 हजार हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई। गुजरात कोल्ड स्टोरेज असोसिएशन के वाइस प्रेजिडेंट आशीष गुरु के मुताबिक, राज्य में कोल्ड स्टोरेज सुविधा की कमी ने किसानों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। इस साल हुए कुल उत्पादन के 50 फीसदी फसल के लिए ही फिलहाल कोल्ड स्टोरेज की सुविधा है।
राज्य में कोल्ड स्टोरेज की जो सुविधा है उसमें 50 किलो वाले 1.94 करोड़ आलू का बैग रखे जा सकते हैं जबकि इस साल उत्पादन 2.68 करोड़ बैग का हुआ है। इसके अलावा बाजार में खरीदार का अभाव देखा जा रहा है क्योंकि कुछ किसानों ने सीधे उपभोक्ताओं तक आलू पहुंचा दिया है। इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, इस साल कुल उत्पादन का 25-30 फीसदी आलू ही बाजार पहुंचा है। छह लाख बैग आलू फार्म में पड़ा हुआ है। उत्तरी गुजरात स्थित दीसा के आलू व्यापारी शंकरभाई माली के मुताबिक, राज्य के सभी कोल्ड स्टोरेज भरे पड़े हैं और मजबूर होकर किसानों को अपनी फसल बाजार में बेचनी पड़ रही है क्योंकि फार्म में ज्यादा समय तक आलू नहीं रखा जा सकता।
उत्तरी गुजरात के दीसा
, पालनपुर, हिम्मतनगर और देगांव इलाकेके किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक आलू की फसल पर प्रति बीघा 18 हजार रुपये की लागत आती है और इसमें बीज, खाद और दूसरे खर्चे शामिल हैं। जबकि इसके बदले किसानों को सिर्फ और सिर्फ 12 हजार रुपये बतौर रिटर्न मिल रहे हैं। इसका मतलब ये हुआ कि किसानों को छह हजार रुपये प्रति बीघा का नुकसान हो रहा है।