केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए करीब 15 वर्ष में पहली बार आज इसकी भंडारण सीमा तय कर दी, जो 31 मार्च, 2024 तक लागू रहेगी। यह सीमा ट्रेडरों, थोक विक्रेताओं, खुदरा बिक्री वाली बड़ी श्रृंखलाओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर लागू होगी। किसानों को भंडारण सीमा के दायरे से बाहर रखा गया है।
भंडारण की सीमा ऐसे समय में तय की गई है, जब देश में वित्त वर्ष 2022-23 फसल विपणन सत्र (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 1,120 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।
दिलचस्प है कि भंडारण की सीमा तय करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब मई महीने में खुदरा महंगाई दर घटकर 25 माह के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर पहुंचने की खबर आई है और खासकर खाद्य कीमतों में गिरावट की वजह से महंगाई घटी है।
लेकिन मॉनसून की रफ्तार गड़बड़ रहने की संभावना और 2024 के आम चुनाव के पहले आने वाले महीनों में प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए संभवतः केंद्र सरकार खाद्य महंगाई को लेकर कोई जोखिम लेना नहीं चाहती। कुछ सप्ताह पहले कुछ दालों पर भंडारण की सीमा तय की गई थी और चीनी निर्यात का कोटा बढ़ाने से भी सरकार ने इनकार कर दिया था।
बहरहाल आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि गेहूं पर भंडारण की सीमा एक महीने बाद लागू होगी, जिससे हिस्सेदारों को भंडारण का स्तर सीमा के भीतर लाने का वक्त मिल सके। इसके साथ ही सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना के तहत पहले चरण में केंद्रीय पूल से थोक उपभोक्ताओं और व्यापारियों को 15 लाख टन गेहूं बेचने का भी फैसला किया है। गेहूं की यह बिक्री 10 से 100 टन के स्लॉट में 2,125 और 2,150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव होगी।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि पिछले महीने में गेहूं की कीमतों में तेजी आई है। मंडी स्तर पर कीमतों में करीब 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि थोक और खुदरा कीमतों में इतना इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध भी जारी रहेगा।