केंद्र सरकार ने खुले बाजार में 50 लाख टन और गेहूं बेचने का फैसला किया है। इस फैसले के दूसरे दिन गेहूं बाजार में इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
कारोबारी और जानकारों के मुताबिक सरकार के इस फैसले से आगे गेहूं की कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है। इससे पहले भी सरकार ने जून महीने में 15 लाख गेहूं खुले बाजार में बेचने की योजना शुरू की थी। इसके तहत अब तक करीब 8 लाख टन गेहूं की बिक्री हो चुकी है।
मंडियों में गिरे गेहूं के थोक भाव
उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के गेहूं कारोबारी व फ्लोर मिल मालिक संजीव अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार द्वारा खुले बाजार में बिक्री योजना (OMSS) के तहत 50 लाख टन गेहूं और उतारने के फैसले के दूसरे दिन गेहूं बाजार में सुस्ती देखी। मंडी में गेहूं के दाम 25 से 30 रुपये गिरकर 2,330 से 2,340 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किए गए।
कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल ने कहा कि सरकार के इस फैसले से आज दिल्ली में गेहूं के भाव 20 रुपये गिरकर 2,550 से 2,560 रुपये क्विंटल रह गए।
आगे कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं
खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं और बेचने के फैसले की प्रतिक्रिया स्वरूप आज भले ही मंडियों में गेहूं के भाव गिरे हों लेकिन आगे इसकी कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं दिख रहे हैं।
अग्रवाल ने कहा कि सरकार इससे पहले भी खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की योजना लाई है। इसमें मिलों को 100 टन ही गेहूं दिया जा रहा है, अगर इतना ही गेहूं आगे भी दिया जाता रहा तो गेहूं की कीमतों में बड़ी गिरावट की उम्मीद कम है। काफी फ्लोर मिलों की दैनिक क्षमता ही 100 टन है। ऐसे में सरकार को कम से कम हर महीने आधी क्षमता के बराबर यानी 1,500 टन गेहूं देना चाहिए।
पॉल ने कहा कि सरकारी दावे के उलट गेहूं का उत्पादन व स्टॉक कम है। ऐसे में भाव ज्यादा घटने की उम्मीद नहीं है।