अक्टूबर महीने तक दूध की कीमतों में तेजी बनी रहने की संभावना है और इसी तरह मांग-आपूर्ति असंतुलन बढ़ने के साथ ही कच्चे दूध और चारे की उपलब्धता पर दबाव की स्थिति देखने को मिल रही है। मदर डेरी के प्रबंध निदेशक मनीष बंदलिश ने प्रतिज्ञा यादव को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि डेरी क्षेत्र में किसी भी गड़बड़ी को सामान्य होने में दो-तीन साल लगते हैं। बातचीत के संपादित अंश:
वर्ष 2022-23 में कंपनी की वृद्धि कैसी रही?
हम पिछले एक साल में ठोस वृद्धि की राह पर आगे बढ़े थे। कोविड महामारी के प्रसार के बाद के दौर में आमतौर पर डेरी क्षेत्र में खपत की स्थिति मजबूत रही है। हमने दही, छाछ और आइसक्रीम जैसे उत्पादों सहित दूध श्रेणियों में वृद्धि देखी है जिसमें पिछले दो वर्षों में कमी आई थी। ग्रीष्मकालीन उत्पादों में अधिकतम खपत देखी गई। अगर हम कोविड काल से तुलना करें, तो वृद्धि 100 प्रतिशत से अधिक रही है क्योंकि तब वितरण के माध्यमों में बाधा थी।
पिछले एक वर्ष में विशेष उत्पादों वाली श्रेणियों ने कैसा प्रदर्शन किया है?
हम आइसक्रीम जैसी श्रेणियों में लगभग 65 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि देख रहे हैं। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 की अवधि तक इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में पॉलीपैक दही में करीब 35 फीसदी जबकि पनीर में करीब 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।
डेरी पेय पदार्थ, लंबे समय तक चलने वाले प्रमुख उत्पाद और घी जैसी अन्य श्रेणियों में दो अंकों में वृद्धि देखी जा रही है। मूल उत्पाद, दूध में आमतौर पर 20-30 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी नहीं होती है। जहां तक दूध का सवाल है तब मदर डेरी के दूध में उद्योग के औसत से दोगुनी वृद्धि हुई है।
डेरी उद्योग किस दर से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में वृद्धि को लेकर क्या उम्मीदें हैं?
भारतीय डेरी बाजार का दायरा वर्ष 2027 तक 30 लाख करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है, और एक उद्योग के रूप में, अधिकांश कंपनियां मूल्य के साथ-साथ कारोबार के मामले में 15-20 प्रतिशत के करीब बढ़ रही होंगी।
पनीर, फ्लेवर्ड दूध और लस्सी जैसे कई दूध से बने उत्पादों में बाजार में अगले कुछ सालों के दौरान सालाना 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। हम इस वित्त वर्ष के लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ खत्म होने की उम्मीद करते हैं, जिसका मुख्य कारण सभी श्रेणियों में मजबूत मांग है। हम अपनी वृद्धि की गति जारी रखने की उम्मीद करते हैं।
क्या आपकी डेरी कारोबार के दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से परे कोई विस्तार योजना है?
हम महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में मौजूद हैं। जब सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की बात आती है तब यह कारोबार काफी जोखिमपूर्ण हो जाता है। दूध से बने उत्पादों को उत्पादन स्थल से जितनी अधिक दूर ले जाया जाता है, हमारी लागत उतनी ही बढ़ती जाती है।
इसी वजह से हम मूल्य श्रृंखला में परिचालन क्षमता बनाने की योजना बना रहे हैं। हम उपभोक्ता के नजरिये से प्रेरणा लेकर एक नए तरह के उत्पाद की पेशकश करने की भी योजना बना रहे हैं। इसलिए, हमारी रणनीति हमारे मौजूदा बाजारों में हमारी उपस्थिति को मजबूत करने से जुड़ी है। हमारे पास विस्तार के लिए दीर्घकालिक योजनाएं हैं जो आकार ले रही हैं।