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मार्च में चाय पर पड़ी सूखे की मार, विशेषज्ञों ने बताई कैसी होगी पैदावार

इंडियन टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अंशुमान कनोरिया ने कहा कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मार्च महीने में उत्पादन की पहली खेप में 80 प्रतिशत गिरावट की आशंका है।

Last Updated- April 07, 2024 | 10:04 PM IST
Tea

भारत के विभिन्न हिस्सों में मार्च में बदलते मौसम, शुष्क दौर, छिटपुट बारिश और मिट्टी का तापमान कम होने से चाय के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है।

इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष हेमंत बांगड़ ने कहा कि अनुभवजन्य आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में उत्तर भारत के चाय उत्पादन में 30 से 50 प्रतिशत की कमी आई है।

टी रिसर्च एसोसिएशन (टीआरए) का अनुमान है कि फरवरी और मार्च में उत्तर बंगाल में चाय उत्पादन 35 से 40 प्रतिशत कम हुआ है। टीआर के सेक्रेटरी जयदीप फूकन ने कहा, ‘ऊपरी असम में करीब 40 प्रतिशत कम उत्पादन हुआ है। शेष असम में 20 से 25 प्रतिशत की कमी आई है।’

उन्होंने कहा कि मार्च महीने का पूरा आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, हालांकि उत्तर भारत में फसल के उत्पादन में सुधार की उम्मीद है।

दक्षिण भारत में भी सूखे के कारण चाय की फसल पर असर पड़ा है। द यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ साउदर्न इंडिया (यूपीएएसआई) के सेक्रेटरी संजीत आर नायर ने कहा, ‘अगर स्थानीय स्तर पर हुई कुछ बूंदाबांदी को छोड़ दें तो पिछले 2-3 महीनों में कोई खास बारिश नहीं हुई है। मार्च में कृषि के हिसाब से जलवायु की स्थिति अनुकूल नहीं थी। सूखे जैसी हालत होने के कारण अप्रैल में भी फसल प्रभावित होने की आशंका है।’मार्च में भी फसल का उत्पादन कम था ।

उत्तर बंगाल और असम में भी बारिश कम हुई है। दार्जिलिंग में समस्या गंभीर रही है, जहां चाय उत्पादन के हिसाब से मार्च महीना कंपनियों के राजस्व के लिए अहम है। दार्जिलिंग चाय की पहली खेप फरवरी के अंत में तैयार होती है और यह मई के मध्य तक चलता है।

इंडियन टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अंशुमान कनोरिया ने कहा कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मार्च महीने में उत्पादन की पहली खेप में 80 प्रतिशत गिरावट की आशंका है।

First Published - April 7, 2024 | 10:04 PM IST

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