इस्पात की मांग में हो रहे सुधार और अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले घरेलू बाजार में इस्पात की कीमतों में काफी नरमी के मद्देनजर प्राथमिक इस्पात उत्पादक कंपनियां अगस्त में कीमतें बढ़ा सकती हैं।
एएम/एनएस इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम कीमतों में 1,000 से 2,000 रुपये प्रति टन का इजाफा करने जा रहे हैं। घरेलू बाजार में इस्पात की कीमतें वैश्विक इस्पात कीमतों के मुकाबले काफी कम हैं।’
एएम/एनएस इंडिया फ्लैट इस्पात का उत्पादन करने वाली कंपनी है। इसके अलावा सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील इस श्रेणी की प्रमुख कंपनियां हैं। जबकि नवीन जिंदल के नेतृत्व वाली कंपनी जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) और सरकारी इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) लॉन्ग इस्पात का उत्पादन करने वाली प्रमुख कंपनियां हैं।
इस मामले से अवगत जेएसडब्ल्यू स्टील के सूत्रों ने कहा, ‘अगस्त के लिए मूल्य निर्धारण के मामले में हमने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।’
फ्लैट इस्पात उत्पादों का उपयोग वाहन उद्योग में किया जाता है जबकि लॉन्ग इस्पात का उपयोग बुनियादी ढांचा एवं निर्माण क्षेत्र में व्यापक तौर पर होता है। इस्पात उत्पादकों ने जुलाई के लिए कीमतों में करीब 3,000 रुपये प्रति टन की कमी की थी। हालांकि उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि अटकी हुई मांग उन्हें अगस्त के लिए कीमतों में वृद्धि करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
दिल्ली की कंपनी जिंदल स्टील ऐंड पावर के प्रबंधा निदेशक वीआर शर्मा ने कहा, ‘हम मूल्य निर्धारण पर कोई निर्णय लेने से पहले एनएमडीसी और ओएमसी द्वारा मूल्य निर्धारण पर लिए जाने वाले निर्णय का इंतजार करेंगे। यदि लौह अयस्क की कीमतों में इजाफा होता है अथवा अयस्क की कीमतें अपरिवर्तित रहती हैं तो हम मूल्य वृद्धि का करीब 50 फीसदी का आंशिक बोझ (1,500 रुपये प्रति टन) ग्राहकों के कंघों पर डालेंगे। यदि अयस्क आपूर्तिकर्ताओं की ओर से कीमतें घटाई जाती हैं तो हमारी तरफ से कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।’
उपभोक्ता उद्योग की रफ्तार सुस्त बनी रह सकती है क्योंकि मॉनसून के कारण परियोजनाओं का निष्पादन फिलहाल रुका हुआ है। इंजीनियरिंग उद्योग के लिए यह आमतौर पर कमजोर मौसम होता है।
केईसी इंटरनैशल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी विमल केजरीवाल ने कहा, ‘इस्पात कंपनियां पिछले कुछ महीनों से कीमतें बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन अंतत: उन्हें कदम वापस लेना पड़ता है क्योंकि बाजार उसे खपाने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन अगस्त इससे अलग हो सकता है।’
केजरीवाल ने कहा कि मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण कीमतों में पहले की तरह 3,000 रुपये से 3,500 रुपये प्रति टन के दायरे में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा द्वितीयक इस्पात उत्पादकों को वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में औद्योगिक ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था लेकिन अब स्थिति सुचारु हो गई है। यही कारण है कि आपूर्ति पक्ष बरकरार है लेकिन मांग कमजोर है।’