सोयाबीन की पेराई धीमी पड़ने लगी है। चालू तेल वर्ष में सोयाबीन की पेराई निचले स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल महीने की तुलना में मई महीने में पेराई में करीब 28 फीसदी कमी दर्ज की गई। पेराई में कमी की वजह सोयाबीन तेल काफी सस्ता होने से पेराई में पड़ता नहीं पड़ना मानी जा रही है।
मई में पेराई करीब 28 फीसदी घटी
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार तेल वर्ष 2022-23 (अक्टूबर से सितंबर ) के मई महीने में 6.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई, जबकि अप्रैल महीने में 9 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई थी। इस तरह सोयाबीन पेराई मई में अप्रैल से 27.77 फीसदी कम रही।
सालाना आधार पर भी मई में पेराई करीब 4 फीसदी घटी। मई महीने में सोयाबीन की पेराई चालू तेल वर्ष के निचले स्तर पर पहुंच गई है। चालू तेल वर्ष में मई से पहले 8 लाख टन से अधिक पेराई हर माह हो रही थी। कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय व घरेलू कारकों से खाद्य तेलों के दाम काफी गिर चुके हैं। सोयाबीन तेल भी काफी सस्ता हुआ है। जिससे सोयाबीन की पेराई में तेल मिलों को फायदा नहीं हो रहा है। इसलिए पेराई में कमी आने लगी है।
अब तक कुल पेराई 38 फीसदी अधिक
इस साल मई में पेराई भले कम हुई हो, लेकिन चालू तेल वर्ष की अक्टूबर-मई अवधि में कुल पेराई में इजाफा हुआ है। मई तक 77 लाख टन सोयाबीन की पेराई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में हुई 55.75 लाख टन सोयाबीन की पेराई से करीब 38 फीसदी अधिक है।
इस तेल वर्ष में कैरीओवर स्टॉक, उत्पादन व आयात मिलाकर सोयाबीन की कुल उपलब्धता 154.26 लाख टन रहने का अनुमान है। इसमें 13 लाख टन बीज के लिए निकालने के बाद पेराई के लिए उपलब्धता 141.26 लाख टन बचेगी। पिछले तेल वर्ष में यह आंकड़ा 113.27 लाख टन था।