अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) ने अपने हालिया आकलन में कहा कि आगामी फसल विपणन सत्र 2025-26 में भारत का चावल उत्पादन 15.10 करोड़ टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर होने का अनुमान है। विभाग ने इसका कारण समय से पहले मॉनसून के आने और किसानों के लिए सरकार का उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य को बताया है। इससे पहले मई में अपने आकलन में यूएसडीए ने 2025-26 तक चावल उत्पादन 14.80 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया था। इससे भारत चीन के 14.60 करोड़ टन चावल उत्पादन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन जाएगा। अब जून के आकलन से पता चलता है कि 2025-26 में उत्पादन और भी अधिक हो सकता है।
भारत सरकार द्वारा कुछ सप्ताह पहले जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार साल 2024-25 (जुलाई से जून) में देश में चावल उत्पादन 14.90 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया था। हालिया आकलन से यह भी पता चलता है कि भारत द्वारा साल 2025-26 में विश्व बाजारों में रिकॉर्ड 250 लाख टन चावल निर्यात करने की उम्मीद है, जो मई में अनुमानित 240 लाख टन से अधिक है। यूएसडीए प्रमुख कृषि वस्तुओं की विश्व आपूर्ति पर मासिक अनुमान जारी करता है। भारत में चावल उत्पादन का वर्तमान अनुमान जून के आकलन पर आधारित है।
यूएसडीए ने साल 2024-25 में भारत का गेहूं उत्पादन सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुरूप बढ़ाकर 11.75 करोड़ टन कर दिया है। उल्लेखनीय है कि साल 2025-26 में चावल उत्पादन को मुख्य रूप से इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की जल्दी शुरुआत और इसके ‘सामान्य से अधिक’ पूर्वानुमान से बल मिला है।
मौसम विभाग ने पिछले महीने जारी साल 2025 मॉनसून सीजन के लिए अपने दूसरे पूर्वानुमान में कहा कि बारिश दीर्घावधि औसत (एलपीए) की 106 फीसदी रहने की उम्मीद है, जबकि अप्रैल में मौसम विभाग ने एलपीए के 105 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। साल 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में मौसम की बारिश का एलपीए 87 सेंटीमीटर है।
इतना ही नहीं, मौसम विभाग ने कहा कि इस वर्ष पूर्वोत्तर और बिहार के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के लगभग सभी क्षेत्रों में मॉनसून सामान्य से अधिक रहेगा। मौसम विभाग के क्षेत्रीय पूर्वानुमान के अनुसार इस साल केवल अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में ही ‘सामान्य से कम’ बारिश हो सकती है। कुछ सप्ताह पहले केंद्र ने साल 2025-26 सीजन के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में मामूली 3 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जो 5 वर्षों में सबसे कम है। यह बढ़ोतरी मामूली इसलिए भी थी क्योंकि सरकारी भंडार चावल से भरे हुए हैं।