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महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल

Last Updated- December 11, 2022 | 2:02 PM IST

 पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन (ओपेक) और उसके साझेदारों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में 20 लाख बैरल कटौती की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद विश्लेषकों ने कहा है कि उन्हें भारत में ईंधन की कीमतों में जल्द बढ़ोतरी की उम्मीद लग रही है।
उत्पादन में कटौती से नवंबर से तेल की वैश्विक आपूर्ति 2 प्रतिशत कम हो जाएगी। विश्लेषकों का कहना है कि इसके कारण आगे चलकर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा में कॉर्पोरेट रेटिंग्स के को-ग्रुप हेड और वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘सरकार ने पिछले कुछ समय से ईंधन के खुदरा दाम में बढ़ोतरी नहीं की है, खासकर उस समय जब भारत में खुदरा दाम अंतरराष्ट्रीय मूल्य की तुलना में 12 से 14 प्रतिशत कम थे।
इसकी वजह से वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में ज्यातर तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को राजस्व का नुकसान हुआ है। ओएमसी आगे कीमतें कम करने के पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगी।’ उन्होंने कहा कि अगस्त से महंगाई दर के आधार का विपरीत असर शुरू हुआ है, इसकी वजह से भी सरकार कीमत बढ़ा सकती है।
इंडिया रेटिंग के एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री ने कहा, ‘पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी सहित सरकार ने कई बार जोर देकर कहा है कि ओएमसी को नुकसान की भरपाई के लिए और वक्त की जरूरत है, जो नुकसान वैश्विक दाम ज्यादा रहने पर उन्होंने उठाया है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि पेट्रोल पंप पर कीमतें बढ़ेंगी।’
पिछले महीने पुरी ने कहा था कि ज्यादातर विकसित देशों में पेट्रोल की कीमत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। बहरहाल भारत में सरकार के समर्थन के कारण इसमें 2 प्रतिशत की कमी आई। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक कीमत में लगातार तेजी से सरकार के हाथ भी बंधेंगे।
बहरहाल कुछ अन्य का तर्क है कि ज्यादा कीमत होने से स्वाभाविक रूप से पंप पर कीमतें बढ़ेंगी, सरकार इसे लागू करने में थोड़ा वक्त लेगी। पीडब्ल्यूसी में तेल और गैस उद्योग की गतिविधियों के प्रमुख दीपक माहुरकर ने कहा कि ओपेक के उत्पादन में बदलाव और उसके असर में सामान्यतया 3 महीने का वक्त है। उन्होंने कहा कि कीमतों की चाल में सरकार का हस्तक्षेप जारी रहेगा और कीमत में बढ़ोतरी के पहले सरकार राज्य विधानसभा चुनावों सहित कई अन्य गतिविधियों पर नजर रखेगी।
तेल उत्पादन करने वाले सभी 13 प्रमुख देशों के संगठन, जिसमें सऊदी अरब, ईरान, इराक, और वेनेजुएला के साथ अन्य शामिल हैं, इन्हें अर्थशास्त्रियों ने कार्टेल बताया है। इसके सदस्य देश वैश्विक तेल उत्पादन का 44 प्रतिशत उत्पादन करते हैं और 2018 तक के आंकड़ों के मुताबिक मिले तेल भंडारों में 81.5 प्रतिशत इनके पास है।
सितंबर में इस समूह ने कच्चे तेल के उत्पादन में अक्टूबर से 1,00,000 बैरल प्रति दिन की कटौती करने की घोषणा की थी। बहरहाल विश्लेषकों का कहना है कि हाल में बढ़ी कटौती से कच्चे तेल की कीमतों में और तेजी आने की संभावना है।
 

First Published - October 6, 2022 | 10:23 PM IST

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