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बारिश से जख्म पर मुआवजे का मरहम

Last Updated- July 17, 2025 | 4:13 PM IST
PM Kisan 20th instalment

मध्य प्रदेश में चुनावी साल होने की वजह से सरकार ने भी मुआवजे की घोषणा में तत्परता दिखाई है, लेकिन किसानों और किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें यकीन तभी होगा, जब रकम खाते में आ जाएगी

मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने जहां मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से में किसानों को अवसाद में ला दिया, वहीं प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर भी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई।

प्रदेश सरकार ने आनन-फानन में राहत उपायों की घोषणा की और कांग्रेस नेताओं ने भी मुख्यमंत्री से किसानों को राहत मुहैया कराने का आग्रह करते हुए अलग-अलग मांग कीं। मार्च में अलग-अलग समय पर हुई ओला वृष्टि और बारिश ने प्रदेश के अधिकांश हिस्से में फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया। प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में 70,000 हेक्टेयर से अधिक रकबा बारिश और ओले की जद में आया, जिससे गेहूं, चना और सरसों की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है। विदिशा, रायसेन, हरदा, नर्मदापुरम, नीमच, मंदसौर, रतलाम, खरगोन, दतिया, श्योपुर, डिंडोरी रीवा, सतना सहित कई जिलों में बारिश और ओलों ने खड़ी फसल को खास तौर पर नुकसान पहुंचाया।

हरदा जिले के किसान मोहन गुर्जर कहते हैं, ’10 बीघे में गेहूं की फसल कटने को तैयार थी, लेकिन बारिश ने अरमानों पर पानी फेर दिया। ओलों के कारण गेहूं के दाने जमीन पर बिखर गए और उनमें नमी आने से पूरी फसल की गुणवत्ता चौपट हो गई। रही मुआवजे की बात तो पैसा खाते में आने पर ही हमें यकीन होगा क्योंकि पुराना अनुभव है कि पैसा आसानी से नहीं मिलता। घोषणा कुछ और होती है, खाते में कुछ और आता है।’

गेहूं के थोक कारोबारी नरोत्तम पाटीदार कहते हैं, ‘बारिश के कारण गेहूं में नमी आई, उसकी चमक कम हुई और दाने भी सिकुड़कर छोटे हो गए हैं। ऐसे गेहूं को बाजार में औसत से बहुत कम दाम मिलेंगे। मानकर चलिए कि इस गेहूं की कीमत प्रति क्विंटल 300 से 500 रुपये तक कम जा रही है। चने और मक्के की फसल के दाम भी ऐसी ही गिरावट से दो-चार होंगे।’

बहरहाल सरकार ने मार्च के शुरुआती दिनों में पहले दौर की बारिश के बाद ही गेहूं की सरकारी खरीद का पंजीयन नए सिरे से शुरू कर दिया, जिससे किसानों को कुछ राहत मिली। पहले यह पंजीयन पांच मार्च को बंद कर दिया गया था। इस वर्ष नवंबर में प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, इसलिए सरकार किसानों को मदद पहुंचाने में कोई हील-हवाली नहीं करना चाहती है। यही वजह है कि सरकार ने फसल को होने वाले 50 फीसदी नुकसान को 100 फीसदी नुकसान मानते हुए 32,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय मदद तथा फसल बीमा के जल्द भुगतान की घोषणा तत्काल कर दी। इतना ही नहीं किसानों को 25 से 35 फीसदी नुकसान होने पर भी राहत राशि मुहैया कराई जाएगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘जितने जिलों में ओलावृष्टि हुई है और फसलों को नुकसान पहुंचा है वहां हम 50 फीसदी या अधिक नुकसान पर किसानों को 32,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से राहत राशि देंगे। किसानों को लाभ देने के लिए फसल बीमा योजना की कार्यवाही भी तत्काल शुरू कर दी गई है।’

सरकार ने किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा देने के लिए 64 करोड़ रुपये अलग कर दिए हैं मगर राजस्व विभाग के सूत्रों के मुताबिक यह राशि 90 से 100 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। अधिकारियों के मुताबिक सरकार बागवानी को हुए नुकसान का भी आकलन करवा रही है। साथ ही कृषि ऋण का ब्याज भरने और अगली फसल तक शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दिलाने की भी सोची जा रही है, जिसका बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा। हालिया कैबिनेट बैठक में प्रदेश सरकार ने यह भी कहा है कि ओले और बारिश से जिस गेहूं की चमक चली गई है, उसे सरकार न्यूतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदेगी।

बहरहाल भारतीय किसान यूनियन के मध्य प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव सरकार के इन वादों-दावों से आश्वस्त नहीं नजर आते। यादव कहते हैं, ‘पुराने अनुभव ऐसे हैं कि मैं सरकार की बातों पर यकीन नहीं करता। किसानों का 2016 की भावांतर भुगतान योजना का पैसा अभी बाकी है। पिछले साल का फसल बीमा का पैसा अभी तक नहीं आया है। हां, चुनाव हैं तो इस साल मुआवजा राशि जल्द बंट सकती है।’

यादव कहते हैं कि सरकार सर्वेक्षण कराने का दावा कर रही है मगर सर्वे कागज पर ही हो रहा है। 17 जिलों में बारिश और ओले से अधिक नुकसान हुआ है, लेकिन अब तक वहां समुचित सर्वे होने की जानकारी नहीं है। इसलिए किसानों के खाते में पैसा आने पर ही भरोसा होगा कि सरकार वादे की पक्की है।

उधर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सरकार से आग्रह किया कि वह सर्वे में समय गंवाए बिना किसानों को प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपये की दर से राहत राशि मुहैया कराए। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने भी सर्वे छोड़कर फौरन सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया। कांग्रेस सांसद नकुल नाथ ने सरकार से मुआवजा देने के साथ ही किसानों का बिजली बिल माफ करने और अगली फसल के लिए मुफ्त बीज बंटवाने की भी मांग की है।

राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस कहते हैं, ‘विधानसभा चुनाव करीब हैं, जिस कारण सरकार की सक्रियता समझी जा सकती है। विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस के पास इस मसले पर करने को कुछ खास नहीं है। परंतु प्रदेश सरकार ने पिछले कुछ महीनों में जिस प्रकार युवाओं, श्रमिकों और महिलाओं के लिए योजनाओं की घोषणा की है, किसानों की अति सक्रिय मदद को भी उससे जोड़कर देखा जाना चाहिए।’

छत्तीसगढ़ में ज्यादा असर नहीं

मार्च में छत्तीसगढ़ में बारिश का ऐसा प्रकोप नहीं रहा कि खेती बहुत अधिक प्रभावित हो। प्रदेश में रबी की फसल की बोआई अन्य राज्यों की तुलना में कम होती है। इसलिए बारिश का अधिक असर नहीं हुआ है। बागवानी फसलें जरूर प्रभावित हुई हैं। कुछ स्थानों पर बिजली गिरने से जनहानि और पशुहानि की घटनाएं अवश्य घटीं। आकाशीय बिजली से आठ लोगों की जान जाने और करीब 40 पशुओं के जान गंवाने की सूचना है।

छत्तीसगढ़ के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव अनुराग पांडेय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘जनहानि और पशुहानि के मामलों में तत्काल राहत राशि प्रदान करने के आदेश पहले ही जारी कर दिए गए हैं। बारिश और ओलावृष्टि से फसल नुकसान के लिए मैदानी अमला सर्वे कर रहा है। जिन जिलों में नुकसान हुआ है वहां प्रशासन द्वारा आकलन किए जाने के बाद नियमत: आरबीसी 6-4 के तहत पीड़ितों को राहत राशि दी जाएगी।’

दूसरे राज्यों ने भी कसी कमर

मध्य प्रदेश ही नहीं दूसरे राज्यों में भी मौसम की मार झेलने वाले किसानों को राहत मिल सकती है। उत्तर प्रदेश में आगरा, बरेली, वाराणसी, लखीमपुर खीरी, उन्नाव, हमीरपुर, झांसी, चंदौली, बरेली और प्रयागराज में हुए आकलन के हिसाब से 34,137 हेक्टेयर फसल को भारी नुकसान हुआ है।

वाराणसी में सबसे ज्यादा 13,112 हेक्टेयर, प्रयागराज में 448 हेक्टेयर और बुंदेलखंड के ललितपुर में 6,216 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। हमीरपुर, संभल, मुरादाबाद, पीलीभीत, अलीगढ़, बरेली, सीतापुर, उन्नाव और सोनभद्र में ओले गिरे हैं, जिससे सूखी खड़ी फसल और कटे गेहूं को नुकसान हुआ है।

सर्वेक्षण के अनुसार 15 मार्च से 2 अप्रैल के बीच 1.02 लाख किसान बारिश, अंधड़ से प्रभावित हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों को 56.38 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटा जाएगा। पंजाब में सरकारी अधिकारियों के मुताबिक 34 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हुई और शुरुआती अनुमान के मुताबिक करीब 13 लाख हेक्टेयर बेमौसम बारिश से प्रभावित रही। इसमें भी 1 लाख हेक्टेयर में 70 से 100 फीसदी गेहूं बरबाद हो गया, जिसमें शायद ही कुछ उपज निकले।

पंजाब सरकार ने 75 से 100 फीसदी फसल खराब होने पर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की बात कही है मगर किसानों का कहना है कि उन्हें 50,000 रुपये प्रति एकड़ नुकसान हुआ है और मुआवजा भी उतना ही मिलना चाहिए। जिन किसानों ने फसल का बीमा नहीं कराया है, उन्हें हरियाणा सरकार ने गेहूं की फसल में 75 फीसदी नुकसान के लिए 15,000 रुपये प्रति एकड़ और 50 से 75 फीसदी नुकसान पर 12,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री ने 15 अप्रैल तक सर्वेक्षण कराने और मई अंत तक किसानों को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ जैसे इलाकों में स्थानीय प्रशासन से क्षतिग्रस्त फसलों का पंचनामा करने और किसानों को आर्थिक मदद जारी करने के लिए कहा है।

First Published - April 7, 2023 | 11:54 PM IST

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