facebookmetapixel
₹76 हजार करोड़ की लागत से बन रहा वधावन बंदरगाह बनेगा दुनिया का टॉप 10 डीप-सी पोर्ट, 2028 तक होगा तैयारGold ETF पर निवेशक लट्टू! अगस्त में इनफ्लो 74.36% उछलकर ₹2,190 करोड़ पर पहुंचाऑनलाइन गेमिंग बैन का असर! Dream11 और MPL जैसी कंपनियां यूनिकॉर्न लिस्ट से बाहर, वैल्यूएशन गिरीअमेरिकी टैरिफ से भारतीय होम टेक्सटाइल उद्योग पर संकट, 5-10% आय घटने का अंदेशा: क्रिसिल रेटिंग्सE20 पेट्रोल सेफ, लेकिन इसके इस्तेमाल से घट सकता है माइलेज और एक्सेलेरेशन: महिंद्रा ऑटो CEOFlexi Cap Funds का जलवा, 5 साल में ₹1 लाख के बनाए ₹3 लाख से ज्यादा; हर साल मिला 29% तक रिटर्नTerm Insurance Premiums: अभी नए युवाओं के लिए कौन सा टर्म इंश्योरेेंस प्लान सबसे बेहतर है?Reliance Jio के यूजर्स दें ध्यान! इन प्लान्स के साथ मिलेंगे Netflix, Amazon और JioHotstar फ्री, जानें डिटेल्सअगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाटाटा शेयर को मिलेगा Gen-Z का बूस्ट! ब्रोकरेज की सलाह- खरीदें, 36% अपसाइड का ​टारगेट

…अब दाल भी नहीं होगा नसीब!

Last Updated- December 05, 2022 | 4:27 PM IST

भारतीय बाजार में दालों की कीमत में फरवरी माह में 15 फीसदी से अधिक की वृद्धि देखी गई है। व्यापारिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार उत्पाद में कमी आने की वजह से इसकी कीमतों में उछाल आगे भी बनी रहने की संभावना है।
जलगांव (महाराष्ट्र्र) के एक आयाकत सतीश मित्तल का कहना है कि चना के उत्पादन में कमी की वजह से दालों के दामों में उछाल आया है। शीतकालीन सत्र में चना और काबुली चना के उत्पादन में करीब 7.90 फीसदी की गिरावट आ सकती है, यानी कि इस बार चना का उत्पादन 5.83 मिलियन टन रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन करीब 6.55 मिलियन टन था।
दिल्ली में फरवरी माह में चना के हाजिर भाव में 22.56 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में अप्रैल माह के लिए आपूर्ति की जाने वाली चना के भाव में भी तकरीबन 22.74 फीसदी का उछाल देखा गया।
लाल चना, तूर, काला चना, उड़द आदि के हाजिर भाव में भी चना की तरह ही उछाल देखा गया।
इंदौर (मध्य प्रदेश) स्थित एक व्यापारी अजय खंडेलवाल ने बताया कि बाजार में खरीदारों के होने के बावजूद किसान अच्छी कीमत पाने की इच्छा में दालों को बेचने के बजाए भंडारण में रुचि ले रहे हैं। दूसरी तरफ, और कीमत बढ़ने की उम्मीद में स्टॉकिस्ट, बड़ी कंपनियां और व्यापारी काफी मात्रा में दालों की खरीद कर रहे हैं। खंडेलवाल ने बताया कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में चना के उत्पादन में कमी के अंदेशे से इसकी कीमतों में उछाल आया है।
एमएफ ग्लोबल कमोडिटी इंडिया लिमिटेड के विश्लेषक अश्विनी बनसोड का कहना है कि कम नमी की वजह से पहले ही चने की फसल को नुकसान पहुंच चुका है। ऐसे में अगर बेमौसम बरसात हो गई तो फसल को फायदा होने की जगह भारी नुकसान होने की आशंका है।
वर्ष 2007-08 के रबी मौसम में दालों के उत्पादन में 8.82 फीसदी की गिरावट आ सकती है और इसका उत्पादन 8.57 मिलियन टन तक रह जाएगा, जबकि पिछले साल 9.40 मिलियन टन काा उत्त्पादन हुआ था।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के विश्लेषक रवि भूषण का कहना है कि भारत में हर साल दाल की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। इस साल किसानों के कर्ज माफऊ करने और आयकर सीमा को बढ़ाने की वजह से इसकी मांग में और वृद्धि होने की संभावना है।
वित्त मंत्री ने इस साल बजट पेश करते हुए कहा कि किसानों का करीब 60,000 करोड़ रुपये का ऋण माफ किया जाएगा। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने आयकर की सीमा भी बढ़ाने की बात कही है। ऐसे में हर करदाता को कम से कम 4,000 रुपये की कर में छूट मिल सकती है।
उधर, मित्तल का कहना है कि आयातित दालों के दाम घरेलू दाल की तुलना में ज्यादा है। ऐसे में दाल की बढ़ती कीमत पर थोड़ा लगाम लगाया जा सकता है। जून 2006 में भारत से पौष्टिक जिंसों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, वहीं करमुक्त दाल के आयात को अनुमिति दी है। उल्लेखनीय है कि भारत दाल का सबसे बड़ा उत्पादक और आयातक देश है। यही नहीं, यहां दाल की खपत भी दुनिया में सबसे ज्यादा है। ऐसे में दाल की बढ़ती कीमत चिंता का विषय है।

First Published - March 5, 2008 | 10:16 PM IST

संबंधित पोस्ट