चावल के भाव को नियंत्रित करने के लिए भले ही सरकार ने निर्यात की शर्र्तों को कड़ा दिया है लेकिन बाजार के थोक व्यापारी के मुताबकि इससे बाजार भाव पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
उनका मानना है कि सरकार के इस फैसले में कोई जान नहीं है। और अगर यह फैसला लागू हो भी जाता है तो भी चावल की कीमत में कोई कमी नहीं आने वाली है।
उनका मानना है कि आने वाले समय में चावल के दाम में तेजी का रुख ही रहेगा।
ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी ओम प्रकाश जैन ने सरकार के फैसले के बारे में कहा, इस पप्रकार के पप्रतिबंध पहले भी लगाए जा चुके हैं।
लेकिन उससे कोई फायदा नहीं होता है। बाजार में पहले के मुताबिक ही तेजी का रुख कायम है।
व्यापारियों का मानना है कि विश्व के अन्य देश जैसे पाकिस्तान व वियतनाम में चावल के कम उत्पादन की वजह से चावल का भाव तेज चल रहा है।
फिलहाल उम्दा किस्म के बासमती चावल 60 हजार ररुपये क्विंटल पर कायम है तो गैर बासमती में सरबती 3500, परिमल 1600 तो अन्य क्वालिटी के चावल 5500 व 1135 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है।
सदर बाजार के थोक व्यापारियों के मुताबिक यहां से चावल कनिर्यात सबसे अधिक इस समय इराक व इरान में किया जा रहा है।
गौरतलब है कि सरकार के नए फैसले के मुताबिक अब उन्हीं गैर बासमती चावलों का निर्यात हो सकेगा जिसकी कीमत प्रतिटन 650 अमेरिकी डॉलर से अधिक होगी।
पहले यह सीमा प्रतिटन 500 अमेरिकी डॉलर थी। विदेशी व्यापार महा निदेशालय की अधिसूचना के मुताबिक अब उन्हीं बासमती चावलों का निर्यात हो सकेगा जिसकी कीमत प्रतिटन 900 अमेरिकी डॉलर से अधिक होगी। खाद्य पदार्थों के मूल्यों में हो रही लगातार बढ़ोतरी के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला किया है।
जैन कहते हैं कि अगर सचमुच सरकार के फैसले पर अमल किया गया तो इससे चावल के भाव में थोड़ी कमी आ सकती है।