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भारत के तेल व गैस क्षेत्र के स्वदेशीकरण की जरूरत

Last Updated- December 12, 2022 | 10:00 AM IST

पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने कहा कि तेल व गैस क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों के स्थानीयकरण की जरूरत है। टाटा मोटर्स और रेपोस एनर्जी की ओर से आयोजित एनर्जी स्टार्टअप सम्मेलन 2021 में उन्होंने कहा, ‘हम इस समय बड़ी संख्या में ऐसे उत्पादों पर विचार कर रहे हैं, जिनका आयात किया जा रहा है। हम चाहते हैं कि ये भारत में बनें। हमने इंजीनियर्स इंडिया (ईआईएल) से भी वेंडर विकास पर काम करने को कहा है। सार्वजनिक क्षेत्र अकेले ही तेल उद्यमों पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पूंजीगत व्यय करता है। परिचालन व्यय भी है और निजी क्षेत्र भी निवेश कर रहा है। कुल मिलाकर 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये इस सेक्टर द्वारा सालाना खर्च किया जा रहा है।’ कपूर ने गैर मीटरों का उदाहरण दिया और कहा कि इस समय देश में इसके निर्माण की पर्याप्त क्षमता नहीं है।
इसके पहले कार्यक्रम में बोलते हुए नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा, ‘सॉलिड स्टेट बैटरी और डायरेक्ट सोलर वेफर्स जैसी नई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जिसका भविष्य है। दुनिया इस समय मोबिलिटी रिवॉल्यूशन की ओर है। इसमें शून्य उत्सर्जन होगा।’
कांत ने कहा, ‘तकनीक के क्षेत्र में तेज बदलाव विश्व के परिवहन क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। बैटरी तकनीक बदल रही है और पिछले 10 साल में वैश्विक दाम 90 प्रतिशत कम हुआ है और यह कुछ श्रेणी के वाहनों के लिए घटकर 100 डॉलर प्रति किलोवाट घंटे रह गई है। समग्र स्तर पर यह 129 डॉलर प्रति किलोवॉट घंटे के उच्च स्तर पर है।’
रतन टाटा समर्थित पुणे की रेपोस एनर्जी, रेपोस मोबाइल पेट्रोल पंपों के माध्यम से डोर टु डोर डीजल डिलिवरी करती है, जिसकी सेवाएं भारत के 150 शहरों में है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि रेपोस एनर्जी ने 500 से ज्यादा स्टार्टअप पंजीकृत किए हैं, जिनमें से 200 स्टार्टअप तेल विपणन कंपनियों द्वारा चिह्नित किए गए हैं।

First Published - January 11, 2021 | 11:59 PM IST

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